लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे कल घोषित होंगे। इस बार देश की 543 सीटों पर सात चरणों में मतदान हुआ है। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु के कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल में 45 घंटे का ध्यान किया और वहां से दिल्ली लौटते वक्त अपने ध्यान के अनुभवों को साझा किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने लेख में लिखा, “लोकतंत्र की जननी में लोकतंत्र के सबसे बड़े महापर्व का एक पड़ाव पूरा हो रहा है। तीन दिन तक कन्याकुमारी में आध्यात्मिक यात्रा के बाद मैं दिल्ली जाने के लिए हवाई जहाज में आकर बैठा हूं। काशी और अन्य सीटों पर मतदान चल रहा है। कितने सारे अनुभव हैं, कितनी सारी अनुभूतियां हैं। मैं एक असीम ऊर्जा का प्रवाह स्वयं में महसूस कर रहा हूं।”
प्रधानमंत्री ने बताया कि चुनाव अभियान की शुरुआत 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणास्थली मेरठ से की और आखिरी सभा पंजाब के होशियारपुर में हुई। इसके बाद उन्होंने कन्याकुमारी में भारत माता के चरणों में बैठकर ध्यान लगाया। उन्होंने लिखा, “चुनाव का कोलाहल मेरे मन-मस्तिष्क में गूंज रहा था। रैलियों में, रोड शो में देखे हुए अनगिनत चेहरे मेरी आंखों के सामने आ रहे थे। माताओं-बहनों-बेटियों के असीम प्रेम का वह ज्वार, उनका आशीर्वाद, उनकी आंखों में मेरे लिए विश्वास, दुलार… मैं सब कुछ आत्मसात कर रहा था। मेरी आंखें नम हो रही थीं… मैं शून्यता में जा रहा था, साधना में प्रवेश कर रहा था।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कन्याकुमारी की भूमि और स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा ने उन्हें राजनीतिक वाद-विवाद, आरोप-प्रत्यारोप से मुक्त होकर एक नई ऊंचाई दी। उन्होंने कहा, “कन्याकुमारी के उगते सूर्य ने मेरे विचारों को नई ऊंचाई दी, सागर की विशालता ने मेरे विचारों को विस्तार दिया और क्षितिज के विस्तार ने ब्रह्माण्ड की गहराई में समाई एकात्मकता का निरंतर एहसास कराया।”
प्रधानमंत्री ने अपने लेख में भारत की प्रगति और उसकी वैश्विक भूमिका पर जोर देते हुए कहा, “आज भारत का गवर्नेंस मॉडल दुनिया के कई देशों के लिए एक उदाहरण बना है। सिर्फ 10 वर्षों में 25 करोड़ लोगों का गरीबी से बाहर निकलना अभूतपूर्व है। ‘प्रो पीपल गुड गवर्नेस’ जैसे अभिनव प्रयोग की आज विश्व में चर्चा हो रही है।”
उन्होंने आगे कहा कि 21वीं सदी में भारत को वैश्विक परिदृश्य में अग्रणी बनाने के लिए हर क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को याद करते हुए अगले 25 वर्षों को राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “हमें सकारात्मकता और योगदान के माध्यम से नए भारत की नींव रखनी है, जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुदृढ़ और विकसित भारत का निर्माण हो सके।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की अनंत और अमर शक्ति के प्रति उनकी आस्था, श्रद्धा और विश्वास दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। उन्होंने अपने लेख का समापन करते हुए कहा, “आइए, तेज कदमों से चलें… मिलकर चलें। भारत को विकसित बनाएं।”