देश के नए राष्ट्रपति के नाम पर अब बस अंतिम व औपचारिक मुहर लगनी है। मतगणना जारी है। सांसदों के मतों की गणना पूरी हो चुकी है। द्रौपदी मुर्मू को 540 सांसदों ने वोट किए हैं। जबकि उनके सामने खड़े यशवंत सिन्हा को 208 सांसदों ने वोट दिए हैं। 15 सांसदों के वोट invalid हो गए हैं। विधायकों के वोटों की गिनती अभी जारी है। 15वें राष्ट्रपति के लिए चुनाव प्रक्रिया 18 जुलाई को संचालित हुई थी। इसके बाद आज मतगणना के बाद नए राष्ट्रपति के नाम का ऐलान हो जाएगा। दलों की स्थिति के मुताबिक द्रौपदी मुर्मू की जीत तय मानी जा रही है। भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया, जिसे अन्य सहयोगी व दूसरे दलों का खुला समर्थन मिला है। ऐसे में द्रौपदी मुर्मू का रायसीना हिल्स पर फतह तय ही है।
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‘ऐसा पहली बार होगा’
राष्ट्रपति चुनाव आमतौर पर इस देश में बिना किसी शोर-शराबे के होते रहे हैं। चुनाव की नौबत तो कई बार आई है, लेकिन उसको लेकर बहुत चहलपहल नहीं रहती थी। जीत लगभग तय ही होती थी। कभी कांटे की टक्कर हुई नहीं। लेकिन 2017 के चुनाव से बहुत कुछ बदल गया। तब रामनाथ कोविंद ने उम्मीदवारी की घोषणा होते ही कई राज्यों का दौरा कर समर्थन मांगने की प्रथा शुरू की। इस बार इसी प्रथा को द्रौपदी मुर्मू ने आगे बढ़ाया। यशवंत सिन्हा भी इसी दिशा में बढ़े। लेकिन ऐसा पहली बार होगा जब देश के राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद विजय जुलूस निकाला जाएगा।
‘राजनीतिक हित साधना है मकसद’
भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर कई राजनीतिक हित पहले ही साध लिए हैं। पहली बार किसी आदिवासी को राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचाने का श्रेय भाजपा के ही नाम होगा। भाजपा ने दूसरा दांव ओड़िशा के लिए खेला है। लाख चाहने के बावजूद ओड़िशा में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। न विधानसभा चुनाव में और न ही लोकसभा चुनाव में। द्रौपदी मुर्मू ओड़िशा की रहने वाली हैं और यह पहली बार होगा जब ओड़िशा का कोई व्यक्ति राष्ट्रपति की कुर्सी पर पहुंचेगा। ऐसे में ओड़िया सेंटीमेंट के जरिए भाजपा के पास राजनीतिक हित साधने का खुला मौका होगा।
जश्न की तैयारी
द्रौपदी मुर्मू की जीत को लेकर सभी आश्वस्त हैं। पहली बार राष्ट्रपति चुनाव की जीत के बाद विजय जुलूस निकालने की तैयारी है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 1.30 लाख आदिवासी गांवों में जश्न मनाने की तैयारी भारतीय जनता पार्टी ने की है। इसके साथ दिल्ली में विजय जुलूस भी निकाला जाएगा, जिसकी अगुवाई BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष JP Nadda करेंगे। वैसे इस जुलूस में द्रौपदी मुर्मू शामिल नहीं होंगी। इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम मतगणना के बाद द्रौपदी मुर्मू से मिलने उनके घर जाएंगे।
राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों का गणित
राष्ट्रपति पद पर द्रौपदी मुर्मू की जीत इसलिए भी तय है क्योंकि उम्मीदवारी की घोषणा होते ही बहुमत उनके पक्ष में था। NDA में शामिल दलों के पास 52 फीसदी वोट यानि 5.63 लाख वोट थे। जबकि जीत के लिए 5.40 लाख ही वोट चाहिए। एनडीए के किसी दल ने द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी का विरोध नहीं किया। बल्कि BJD, JMM, शिवसेना, YSR कांग्रेस जैसे दल एनडीए में न होने के बाद भी द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में आए। यशवंत सिन्हा को न सिर्फ सहयोगियों का झटका लगा, बल्कि घर में भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। उनके बेटे जयंत सिन्हा भी BJP के सांसद हैं तो उनका वोट भी यशवंत सिन्हा को नहीं मिला।