जून 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 40 विधायकों ने पार्टी से बगावत की थी, जिसके बाद उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उस समय हिंदुत्व का मुद्दा प्रमुख बना था, और शिंदे और उनके समर्थकों ने आरोप लगाया था कि उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करके हिंदुत्व से समझौता किया है। इसके बाद से उद्धव सेना और कांग्रेस के रिश्ते में उथल-पुथल का दौर जारी है।
2024 के लोकसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे की पार्टी को अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिली, जबकि कांग्रेस को अच्छा फायदा हुआ। इसके बाद विधानसभा चुनाव में भी उद्धव सेना को बड़ा झटका लगा। पार्टी के केवल 20 विधायक ही जीत सके, जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 57 सीटें मिलीं। इस हार के बाद उद्धव सेना के अंदर यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाए रखना सही है?
मंगलवार को उद्धव सेना की बैठक में पार्टी के नेताओं ने अपनी चिंता जाहिर की। इस दौरान कई नेताओं ने यह प्रस्ताव रखा कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टी को अकेले ही लड़ना चाहिए। विधान परिषद में नेता विपक्ष अंबादास दानवे ने कहा, “कई नेता मानते हैं कि हमें गठबंधन से बाहर निकलकर अकेले चुनावी मैदान में उतरना चाहिए। यह पार्टी का बहुमत है, और हमें अपनी ताकत को फिर से खड़ा करने के लिए ऐसा करना चाहिए।”
बैठक में यह भी कहा गया कि मुंबई की कुछ महत्वपूर्ण सीटों पर हार का मुख्य कारण कांग्रेस के साथ गठबंधन था। पार्टी नेताओं का मानना था कि हिंदुत्व की विचारधारा से समझौता करने के बाद यह संदेश जनता के बीच गया कि पार्टी अब अपनी पुरानी पहचान से भटक गई है। इसके अलावा, शिंदे को भाजपा के साथ जाने का फायदा मिला और वे बड़ी संख्या में सीटें जीतने में सफल रहे।
उद्धव सेना के नेताओं का यह भी कहना था कि भाजपा और उसके सहयोगियों ने लोकसभा चुनाव के दौरान यह प्रचार किया कि उद्धव ठाकरे की पार्टी को अल्पसंख्यक वोट मिले, जिससे यह संदेश गया कि अब वे मुस्लिम वोट बैंक पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। इस प्रचार ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया। एक नेता ने यह भी बताया कि कांग्रेस और एनसीपी के साथ भरोसेमंद रिश्ते न होने की वजह से सहयोगी दलों का वोट भी ट्रांसफर नहीं हो सका।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना को लेकर पार्टी के भीतर की असहमति और रणनीतिक बदलाव की बातें तेजी से उठने लगी हैं। अब यह देखना होगा कि क्या पार्टी अगले चुनावों में कांग्रेस से अलग होकर अपनी स्वतंत्र पहचान के साथ आगे बढ़ेगी या फिर गठबंधन को बनाए रखेगी।