राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिससे राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है। याचिकाकर्ता ईश्वरप्रसाद खंडेलवाल ने राज्य सरकार के कानून मंत्रालय द्वारा 12 फरवरी 2024 और 12 मार्च 2024 को जारी किए गए परिपत्रों के तहत अतिरिक्त महाधिवक्ता और सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति को वैधानिकता और प्रक्रिया के आधार पर चुनौती दी थी।
याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि अतिरिक्त महाधिवक्ता और विधि अधिकारियों की नियुक्ति स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञापन दिए बिना और बिना आवेदन आमंत्रित किए की गई। याचिकाकर्ता का यह भी कहना था कि केवल महाधिवक्ता की सिफारिश पर्याप्त नहीं थी और इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी थी।
हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें वरिष्ठ न्यायाधीश श्रीचंद्रशेखर और न्यायाधीश रेखा बोराणा शामिल थे, ने मामले की सुनवाई की। राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एमएस सिंघवी ने अपनी ओर से पक्ष रखा। न्यायालय ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज करते हुए विस्तृत आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता यह तर्क नहीं दे पाए कि इन नियुक्तियों के माध्यम से राज्य के प्रशासनिक विभागों की जरूरतों को पूरा करने के लिए नियुक्त विधि अधिकारियों के पास विशेषज्ञता का अभाव है।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार की ओर से नियुक्त किए गए विधि अधिकारियों ने राज्य के हितों की रक्षा करने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किया है और यह नियुक्तियां कानूनी रूप से सही हैं।