अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन 22 जनवरी, 2024 को किया जाएगा। इस दिन विधि-विधान के साथ भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप को मंदिर में विराजमान किया जाएगा। राम मंदिर में रामलला की पूजा एक विशेष रामानंदी परंपरा से की जाएगी।
रामानंदी परंपरा एक वैष्णव परंपरा है, जिसकी स्थापना 14वीं शताब्दी में स्वामी रामानंदाचार्य ने की थी। इस परंपरा में भगवान श्रीराम को आराध्य देव माना जाता है। अयोध्या के करीब 90 प्रतिशत मंदिरों में इसी परंपरा से पूजा होती है।
रामानंदी परंपरा के तहत रामलला की पूजा निम्नलिखित क्रम में की जाती है:
- प्रातःकाल: रामलला को शयन से उठाया जाता है। उन्हें लाल चंदन और शहद से स्नान कराया जाता है। इसके बाद उन्हें वस्त्र धारण कराए जाते हैं।
- दोपहर: रामलला को भोग लगाया जाता है। इसमें दाल, चावल, रोटी, सब्जी, सलाद और खीर शामिल होती है।
- संध्या: रामलला को आरती की जाती है। इसके बाद उन्हें भोग लगाया जाता है।
- रात्रि: रामलला को शयन कराया जाता है।
क्या है रामनंदी परंपरा?
रामनंदी परंपरा एक हिंदू धार्मिक परंपरा है जो भगवान राम की भक्ति पर आधारित है। इस परंपरा की स्थापना 15वीं शताब्दी में स्वामी रामानंदाचार्य ने की थी। रामानंदाचार्य एक महान संत और समाज सुधारक थे। उन्होंने रामभक्ति की धारा को समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुंचाया।
रामनंदी परंपरा के अनुसार, भगवान राम एकमात्र सच्चे भगवान हैं। वे सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञानी और सर्वव्यापी हैं। रामनंदी भक्तों का मानना है कि भगवान राम सभी के लिए दयालु और प्रेमपूर्ण हैं। वे सभी को समान रूप से देखते हैं, चाहे उनकी जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो।
रामनंदी परंपरा में राम मंत्र की विशेष महत्ता है। राम मंत्र “राम-राम” है। रामनंदी भक्त इस मंत्र का जाप करते हैं और भगवान राम की भक्ति में लीन होते हैं।
रामनंदी परंपरा के अनुयायी अक्सर भजन, कीर्तन और रामचरितमानस का पाठ करते हैं। वे रामायण के विभिन्न प्रसंगों का चित्रण करने वाले भित्ति चित्र और मूर्तियां भी बनाते हैं।
रामनंदी परंपरा भारत में एक प्रमुख धार्मिक परंपरा है। इस परंपरा के अनुयायियों की संख्या लाखों में है। रामनंदी परंपरा ने भारतीय संस्कृति और समाज को गहराई से प्रभावित किया है।
रामनंदी परंपरा के कुछ प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार हैं
- भगवान राम एकमात्र सच्चे भगवान हैं।
- सभी मनुष्य समान हैं, चाहे उनकी जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो।
- भक्ति ही मोक्ष का मार्ग है।
- राम मंत्र की विशेष महत्ता है।
रामनंदी परंपरा के कुछ प्रमुख अनुयायियों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- स्वामी रामानंदाचार्य
- कबीर
- सूरदास
- तुलसीदास
- मीराबाई
- नंददास
रामनंदी परंपरा ने भारतीय संस्कृति और समाज को कई तरह से प्रभावित किया है। इस परंपरा ने रामभक्ति की धारा को समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुंचाया। इस परंपरा ने समानता और भक्ति के मूल्यों को भी बढ़ावा दिया है। रामानंदी परंपरा के तहत रामलला की पूजा में उनके बालपन का ध्यान रखा जाता है। उन्हें एक बच्चे की तरह लालन-पालन किया जाता है।