ग्रासनली कैंसर को लेकर एक शोध को जामा ऑन्कोलॉजी नामक मासिक जर्नल में प्रकाशित किया गया है, जिसे अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन प्रकाशित करता है। इस शोध में पटना के स्कूल ऑफ प्रीवेंटिव ऑन्कोलॉजी के निदेशक और पीएमसीएच के पूर्व जेनरल सर्जन डॉ धीरेंद्र नारायण सिन्हा शामिल रहे। वे इस आलेख के सह लेखक हैं। ओरल कैंसर जिसे मुंह का कैंसर भी कहा जाता है, उससे मृत्युदर में लगातार वृद्धि हुई है। भारत में यह आंकड़े और भी भयावह हैं।
1990 से 2019 के बीच 147 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं ग्रसनी के कैंसर में भी 177 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। जबकि पूरे विश्व में इस समय काल में सिर्फ 24.7 प्रतिशत का ही इजाफा देखा गया है।भारत में 1990 में मुंह के कैंसर के मामले एक लाख में 5.3 थे जो 2019 में 13.9 हो गया। इसी तरह ग्रसनी या ग्रास नली का कैंसर का औसत 1990 में 3.4 प्रति लाख तो 2019 में बढ़कर 8 हो गया।मुंह के कैंसर और ग्रास नली के कैंसर पर दुनियाभर के 204 देशों से लिये गए आंकड़े और 200 के करीब विशेषज्ञों के शोध में यह आंकड़ा सामने आया है।
एशिया में बढ़ रहे ग्रासनली कैंसर के मामले
डा धीरेंद्र नायारण सिन्हा ने बताया कि दक्षिणी एशिया खासकर भारत को ओरल और ग्रासनली कैंसर का गढ़ माना गया है। इसलिए यहां के लिए यह शोध ज्यादा महत्वपूर्ण है। यहां लगातार बढ़ रहे धूम्रपान, तंबाकू, गुटखा और केमिकल का अत्यधिक प्रयोग भारत सहित दक्षिण एशिया में इस तरह के मामलों के वृद्धि का प्रमुख कारण हैं। वहीं, मृत्युदर में वृद्धि का प्रमुख कारण ओरल और ग्रासनली कैंसर का आखिरी स्टेज में पता चलना है। उन्होंने बताया कि ग्रासनली के कैंसर के 2019 के आंकड़ों के अनुसार दुनिया में 1.67 लाख नए मामले देखे गए थे। वहीं मुंह के कैंसर के 3.70 लाख मामले सामने आए, जिसमें एक तिहाई भारत में था।
ग्रासनली कैंसर से मृत्युदर में 10 फीसदी की वृद्धि
डा धीरेंद्र नायारण सिन्हा ने बताया कि ग्रास नली के कैंसर से मृत्युदर में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। भारत में 177 फीसदी नए मामले ग्रासनली कैंसर के पाए गए। वहीं ग्रासनली कैंसर से भारत में मृत्युदर में 167.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जर्नल के आंकड़ों के अनुसार 2019 में विश्व में प्रति एक लाख लोगों में सात नए मरीज ओरल कैंसर के मिले थे, जिसमें चार व्यक्ति की मौत प्रति हो गई थी। महिलाओं के लिए यह आंकड़े और भयावह है, क्योंकि विश्व भर में जहां महिलाओं में इस तरह के कैंसर में 18 फीसदी बढ़े हैं। वहीं, पुरुषों में एक फीसदी की गिरावट आई है। महिलाओं में ओरल कैंसर से मृत्यु दर में भी 10 फीसदी की वृद्धि देखी गई है, जबकि ओरल कैंसर से होने वाली मृत्युदर में भी पुरुषों के मामले में करीब छह फीसदी की गिरावट आई है।