राजस्थान में सत्ता का संकट सोमवार को भी नहीं छंटा। रविवार को सियासी ड्रामा विधायकों के इस्तीफे तक पहुंच गया। पार्टी आलाकमान ने जिन पर्यवेक्षकों को भेजा, उनकी भी किसी ने नहीं सुनी। उलटे कांग्रेस आलाकमान के सामने सीएम अशोक गहलोत गुट ने तीन शर्तें रख दी। इन शर्तों के कारण कांग्रेस आलाकमान के सामने अशोक गहलोत की इमेज खराब होती दिख रही है। पर्यवेक्षक बन कर राजस्थान गए और दिल्ली लौटे माकन की बॉडी लैंग्वेज स्पष्ट बता रही है कि कांग्रेस आलाकमान गहलोत से खुश नहीं है।
कल तक रिपोर्ट देंगे : माकन
अजय माकन ने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद मीडिया को बताया कि कल यानि 27 सितंबर को वे लिखित रिपोर्ट सोनिया गांधी को सौंपेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ विधायकों से बात हुईं तो उन्होंने तीन शर्तें रखीं। इसमें कोई भी फैला 19 अक्टूबर के बाद लेने की मांग है। लेकिन ऐसी मांग सही नहीं है। सोनिया गांधी ने लिखित रिपोर्ट मांगी है। वो रिपोर्ट कल तक हम दे देंगे। सभी चीजें विस्तार पूर्वक बता दी है।
गहलोत-पायलट तकरार बरकरार
देश की राजनीति में कांग्रेस के लिए लड़ाई चौतफा हो चुकी है। निश्चित तौर पर कांग्रेस आज भी विपक्ष का सबसे बड़ा दल है। लेकिन आने वाले लोकसभा में कांग्रेस ही भाजपा के विरोधी दलों का नेतृत्व करेगी यह तय नहीं है। साथी दल अपना चेहरा चमकाने की कोशिशों में जुटे हैं तो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पदयात्रा कर पार्टी को जोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इस बीच कांग्रेस के पास मौजूद सबसे बड़े राज्य राजस्थान में अंदरुनी लड़ाई चरम पर पहुंच चुकी है।
गहलोत चाहते हैं फुल कंट्रोल
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत कांग्रेस का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की रेस में सबसे आगे हैं। लेकिन वे पार्टी के साथ अपने राज्य राजस्थान पर भी फुल कंट्रोल चाहते हैं। लेकिन गांधी परिवार के एक व्यक्ति, एक पद के फार्मूले ने गहलोत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। इसके बावजूद गहलोत हार नहीं मान रहे।
अशोक गहलोत की शर्तें
- सचिन पायलट को नया सीएम नहीं बनाया जाए।
- नए सीएम की घोषणा 19 अक्टूबर को अध्यक्ष पद के लिए चुनाव के बाद की जाए।
- अगला सीएम अशोक गहलोत के पसंद का ही बने।
सचिन पायलट की चाहत
उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट राजस्थान की राजनीति में अगली सीट पर आने के लिए अर्से से बेकरार हैं। उन्हें लगता है कि राजस्थान और पार्टी को अब अनुभव से अधिक युवा जोश की जरुरत है। लेकिन अशोक गहलोत बार बार पायलट की उड़ान क्रैश करा दे रहे हैं। सचिन पायलट ने तख्ता पलट की कोशिशें पहले भी की थी। लेकिन बात बनी नहीं। दिल्ली में राहुल गांधी ने सबको समझा लिया था। इस बार क्या होगा, यह आज पता चल सकता है।