तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन के बेटे और राज्य कैबिनेट में मंत्री उदयनिधि स्टालिन सनातन विरोध की अपनी बात पर टिके हुए हैं। सनातन को समाप्त करने वाला बयान देने के बाद भले ही उनके लिए विरोध के स्वर बढ़ने लगे हैं, कानूनी मामले दर्ज हो रहे हों, लेकिन उदयनिधि को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उदयनिधि सनातन को नहीं मानने जैसी बात नहीं कर रहे बल्कि सनातन को खत्म करने की बात कर रहे हैं। अभी भी वे अपनी बात पर टिके हुए हैं। सनातन उन्मूलन कार्यक्रम के दौरान विवादित बयान देने के बाद अब उदयनिधि अपनी बातों का तार्किक अर्थ भी समझा रहे हैं।
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राष्ट्रपति को बनाया उदाहरण
उदयनिधि के बाद जब बवाल शुरू हुआ तो मीडिया ने उनसे बात की। उदयनिधि ने मीडियापर्सन से ही उलटे सवाल किया कि क्या वे सनातन को मानते हैं। वहीं मीडिया में ही उदयनिधि ने यह भी समझाने का प्रयास किया है कि वे सनातन का विरोध क्यों कर रहे हैं। अब तक वे यह कहते हैं कि सनातन में समानता नहीं है, भेदभाव है। अब अपनी बात को साबित करने के लिए उदयनिधि ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना उदाहरण बना लिया है।
संसद उद्घाटन में नहीं बुलाया
नए संसद भवन के उद्घाटन के वक्त राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मौजूद नहीं थीं। इस बात पर पहले भी विपक्ष सवाल उठा चुका है और तब इसे राजनीतिक मुद्दा बताया गया था। तब विपक्ष के नेताओं ने इस मामले में पीएम मोदी को श्रेय लेने की भूख बताई थी। लेकिन अब उदयनिधि का कहना है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संसद भवन के उद्घाटन में नहीं बुलाया गया। यह जाति के आधार पर भेदभाव का सबसे ताजा उदाहरण है।
हालांकि उदयनिधि को I.N.D.I.A. में शामिल रामगोपाल यादव और ममता बनर्जी जैसे नेताओं ने किसी धर्म पर टिप्पणी नहीं करने की नसीहत दी है। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे व कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे और आम आदमी पार्टी के नेता राजेंद्र पाल गौतम के बयान उदयनिधि के बयानों का समर्थन कर रहे हैं। राजद नेता शिवानंद तिवारी ने इस मसले पर बहस और तेज करते हुए कहा है कि किस धर्म के संत सिर का’टने जैसी बातें करते हैं। सनातन धर्म में दलितों पर अत्याचार होता है। इसमें पिछड़ों की क्या स्थिति है, यह किसी से छिपा नहीं है।