लोकसभा चुनाव 2024 के पहले राजनीतिक हलचल अब धीरे धीरे तेज होने लगी है। जब तक संसद का मानसून सत्र चल रहा था, तब तक मणिपुर के मुद्दे पर गरमागरमी थी। अब विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों ने अपने दोनों हाथ खोल दिए हैं। सत्तापक्ष तो अपने पास जो है, उसे बस बरकरार रखने की जद्दोजहद में लगा है। लेकिन विपक्ष के सामने चुनौती ये है कि उसके पास जो है, वो न्यूनतम से कहीं कम है। लेकिन इसके बावजूद विपक्ष के खिलाड़ियों में सेल्फ-गोल वाले शॉट ही दिख रहे हैं। महाराष्ट्र की राजनीति इसका ताजा उदाहरण है। भतीजे के साथ कुश्ती में पटखनी खा चुके शरद पवार की रही सही पावर उनके सहयोगी दलों के नेता सीज कराने में जुट गए हैं।
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शिवसेना का हमला, पवार फैला रहे कन्फ्यूजन
अजित पवार के पार्टी तोड़कर भाजपा के साथ गठबंधन कर लेने के बाद माना जा रहा है कि शरद पवार को भी कहीं न कहीं झटका लगा है। हालांकि चर्चा में यह भी है कि जब मौका चुनाव का आएगा तो अजित पवार गुट की बजाय महाराष्ट्र की जनता शरद पवार को तरजीह दे सकती है। अभी की जो मौजूदा स्थिति है कि उसमें शरद पवार गुट को कांग्रेस और उद्धव गुट शिवसेना का समर्थन है। लेकिन बीते दिनों की कुछ घटनाओं ने उद्धव गुट शिवसेना की राय बदलने की शुरुआत कर दी है। पार्टी की ओर से पवार पर यह आरोप लगाया गया है कि वे कन्फ्यूजन फैला रहे हैं। उद्धव गुट शिवसेना ने सामना में अपने संपादकीय में लिखा है कि “डिप्टी सीएम अजित पवार बार-बार शरद पवार से मुलाकात के लिए जा रहे हैं। मजे की बात यह है कि शरद पवार किसी मुलाकात को टाल नहीं रहे हैं। कुछ मुलाकात खुले तौर पर हुईं तो कुछ गुप्त रूप से हो रहीं, इसलिए लोगों के मन में भ्रम पैदा हो रहा है।”
कांग्रेस का भी मीडिया के जरिए वार
उद्धव गुट शिवसेना की तर्ज पर ही महाराष्ट्र की कांग्रेस ने भी शरद पवार के पर कतरने के लिए मीडिया का इस्तेमाल किया है। एक मीडिया रिपोर्ट में पृथ्वीराज चव्हाण के हवाले से यह दावा किया गया है कि भाजपा ने शरद पवार को केंद्र में कृषि मंत्री बनाने और नीति आयोग के अध्यक्ष पद का ऑफर दिया है। इसके अलावा सुप्रिया सुले और जयंत पाटिल को मंत्री बनाने की भी पेशकश की गई है। चव्हाण के इस दावे को महाराष्ट्र की राजनीति में पवार का पावर कम करने और उसके गैप को कांग्रेस द्वारा भरने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। जानकार बताते हैं कि एनसीपी की कमजोरी का फायदा कांग्रेस को ही मिलेगा, इसलिए अजित पवार के अलग होने के बाद बचे-खुचे एनसीपी को कांग्रेस खत्म करना चाहती है। वहीं महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने तो साफ कह दिया है कि शरद पवार और अजित पवार के बीच होने वाली सीक्रेट मीटिंग मंजूर नहीं हैं और यह उनकी पार्टी के लिए चिंता का विषय है। इस मामले पर कांग्रेस के शीर्ष नेता चर्चा करेंगे। I.N.D.I.A. भी इस पर चर्चा करेगा।
महाराष्ट्र का कितना महत्व?
लोकसभा चुनाव में सीटों के लिहाज से उत्तरप्रदेश सबसे बड़ा है। वहां 80 सीटें हैं। उसके बाद नंबर महाराष्ट्र का ही आता है, जहां 48 सीटें हैं। दोनों गठबंधनों की कोशिश है कि बड़े राज्यों में बड़ा हिस्सा अपने पास रखें। महाराष्ट्र में भाजपा ने इसी कोशिश में अजित पवार गुट को मिला लिया है। अब शरद पवार के बार बार अजित पवार से मुलाकात का फायदा स्थानीय कांग्रेस और उद्धव गुट शिवसेना उठाना चाहती है। क्योंकि कमजोर पवार उनके किसी काम के नहीं होंगे। ऐसे में कांग्रेस और उद्धव गुट शिवसेना हर हाल में शरद पवार से क्लेरिफिकेशन चाहते हैं।
शरद पवार अब भी I.N.D.I.A. का हिस्सा?
कांग्रेस और उद्धव गुट शिवसेना द्वारा बार बार शरद पवार पर परोक्ष हमलों के उलट शरद पवार की स्थिति अब तक स्पष्ट ही रही है। शरद पवार ने साफ कर दिया है कि भाजपा के साथ जाने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा है कि भाजपा के साथ जाने वालों के साथ उनका कोई संबंध नहीं है। न ही महाविकास अघाड़ी में कोई भ्रम है। शरद पवार ने कहा है कि हमारे कुछ साथियों ने अलग रुख अपनाया है। आज या कल उनका भी परिवर्तन हो सकता है। हालांकि, पवार ने कहा कि वे बदलें या न बदलें, हम अपना रास्ता नहीं बदलना चाहते।