केंद्र सरकार ने 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। खास बात ये है कि इस सत्र की शुरुआत तो पुराने संसद भवन से होगी। लेकिन 19 सितंबर से संसद का कामकाज नए संसद भवन में हो जाएगा। विशेष सत्र किस कारण से बुलाया गया है इसको लेकर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि सरकार की तरफ से इसको लेकर एक अधिसूचना जारी की गई है। जिसमें ये बताया गया है कि विशेष सत्र के दौरान चार बिल पेश किए जाएंगे। इन चारों बिल में से एक बिल मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति से जुड़ा हुआ है। अब बड़ा सवाल ये है कि इन चारों बिल से क्या कुछ बदलाव आने वाला है।
विशेष सत्र में पेश होंगे ये बिल
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त, अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा शर्त विधेयक 2023 :- जो चार बिल विशेष सत्र में पेश किया जाना है उसमें सबसे अधिक चर्चा ‘मुख्य निर्वाचन आयुक्त, अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा शर्त विधेयक 2023’ की हो रही। क्योंकि ये बिल सीधे तौर पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति में प्रक्रिया में बदलाव से जुड़ा है। इस बिल के अनुसार मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के लिए गठित कमिटी के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे। वही इस कमिटी में लोकसभा में विपक्ष के नेता या फिर सबसे बड़े दल के नेता भी शामिल होंगे। साथ ही प्रधानमंत्री को एक कैबिनेट मंत्री को भी इस कमिटी का सदस्य बनाने का भी अधिकार होगा। इस बिल को लेकर विवाद भी खुब हो रहा है। विपक्ष का कहना है कि इस कमिटी में शक्ति का संतुलन नहीं रखा गया है क्योंकि विपक्ष के नेता प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही अल्पमत में चले गए हैं। प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री के सहमत होने पर विपक्ष के नेता की आपत्ति का कोई सवाल नहीं रह जाएगा। जिससे इस बिल से चुनाव आयुक्त निष्पक्ष नहीं रह जाएगा। जिससे चुनाव की पारदर्शिता भी खतरे में आएगी।
- एडवोकेट संशोधन विधेयक 2023:- इस बिल को राज्यसभा में बहस के बाद इसी वर्ष 13 अगस्त को पारित कर दिया गया था। ये बिल कानून से जुड़े हुए अनावश्यक अधिनियमों को निरस्त करने, वही कुछ अधिनियमों में संशोधन करने और खास कर दलालों पर नकेल कसने से संबंधित है। इस बिल के जरिए लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट, 1879 को निरस्त करने का फैसला है तो वहीं अधिवक्ता अधिनियम, 1961 को भी संशोधित किया जाएगा। इस बिल में ये भी प्रावधान है कि प्रत्येक उच्च न्यायालय‚जिला न्यायाधीश‚सत्र न्यायाधीश‚जिला मजिस्ट्रेट और राजस्व अधिकारी दलालों की सूची बना और प्रकाशित कर सकते हैं।
- प्रेस एवं आवधिक पंजीकरण विधेयक 2023:- इस बिल को भी राज्यसभा में पास करा लिया गया है। लोकसभा से पास हो जाता है तो डिजिटल मीडिया भी रेग्युलेशन के दायरे में आएगा। बिल का मकसद समाचार पत्र और पत्रिकाओं के पंजीकरण की प्रक्रिया को आसान बनाना है। कानून बनने के बाद डिजिटल मीडिया भी निगरानी के दायरे में आ जाएगा।
- डाकघर विधेयक 2023:- ये बिल भी इसी साल 10 अगस्त को राज्यसभा में पास हो चुका है। फिलहाल लोकसभा में पेंडिंग नें रखा गया है। बता दें कि ये बिल 1898 में बने पुराने अधिनियम की जगह लेगा। ये बिल डाक घर को पत्र भेजने के साथ-साथ पत्र प्राप्त करने, एकत्र करने, भेजने और वितरित करने जैसी आकस्मिक सेवाओं के विशेषाधिकार को खत्म करेगा। साथ ही डाकघर खुद का डाक टिकट जारी करने का अधिकार भी देगा। किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षा और शांति के मद्देनजर पोस्ट ऑफिस के कुछ शीर्ष अधिकारियों को यह अधिकार होगा कि वह किसी शिपमेंट को ओपन करें, उसे रोकें या फिर नष्ट कर दें।
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