जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के हटने के बाद विधानसभा के सीटों के परिसीमन पर उठे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओक की बेंच ने केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर के परिसीमन की प्रकिया को सही ठहराया है। इस फैसले के साथ ही परिसीमन का विवाद अब समाप्त होता दिख रहा है। साथ ही जम्मू-कश्मीर में अब चुनावों का रास्ता साफ हो गया है।
परिसीमन की प्रक्रिया के खिलाफ थी याचिका
दरअसल, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन की पूरी प्रक्रिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सोमवार को फैसला आया है। श्रीनगर के हाजी अब्दुल गनी खान और मोहम्मद अयूब मट्टू की याचिकाओं में आरोप था कि परिसीमन में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। जबकि केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और चुनाव आयोग ने इस दलील को गलत बताया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिकाकर्ता की दलीलों को नहीं माना और खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने पहले ही कर दिया था साफ
सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई 2022 को ही जारी नोटिस में स्पष्ट कर दिया था कि इन मामले में सुनवाई सिर्फ परिसीमन पर होगी। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने से जुड़े मसले पर कोई विचार नहीं किया जाएगा। इसके बाद सोमवार को यह फैसला आया है।
बदल गई हैं विधानसभा क्षेत्रों की सीमा
यह पूरा मामला इसलिए सुर्खियों में है क्योंकि परिसीमन में विधानसभा क्षेत्रों की सीमा बदली गई हैं। नए इलाके शामिल हुए हैं तो कुछ में पुराने इलाके हटे हैं। विधानसभा सीटों की संख्या भी बढ़ी हैं। पहले 107 सीटें थीं और अब 114 कर दी गई हैं। इनमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की भी 24 सीटें शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि केन्द्र सरकार को अधिकार और शक्ति है कि वो निर्वाचन आयोग की सहमति से परिसीमन आयोग यानी डिलीमिटेशन कमीशन बना सकती है। इसलिए कोर्ट ने याचिका खारिज की है।