नई दिल्ली: इलेक्टोरल बॉन्ड की कानूनी वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा। यह फैसला राजनीतिक दलों के वित्तपोषण को लेकर काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पांच जजों की बेंच ने सुनाया फैसला: इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने की थी। बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
नवंबर 2023 में सुरक्षित रखा गया था फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 31 अक्टूबर से 2 नवंबर 2023 तक लगातार सुनवाई की थी। इसके बाद 2 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।
क्या है चुनावी बॉन्ड योजना: चुनावी बॉन्ड योजना 2018 में शुरू की गई थी। इस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति या कंपनी चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है और उसे किसी भी राजनीतिक दल को दान कर सकता है।
चुनावी बॉन्ड को लेकर याचिकाएं: इस योजना को लेकर कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थीं। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह योजना पारदर्शिता की कमी और अज्ञात दानदाताओं की भागीदारी को बढ़ावा देती है।
क्या होगा फैसले का असर: सुप्रीम कोर्ट का फैसला राजनीतिक दलों के वित्तपोषण में बड़ा बदलाव ला सकता है। यदि कोर्ट चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर देता है, तो राजनीतिक दलों को धन जुटाने के नए तरीके खोजने होंगे।
यह भी जानिए:
- चुनावी बॉन्ड 1000 रुपये, 10,000 रुपये, 1 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपये के मूल्यवर्ग में उपलब्ध हैं।
- चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले का नाम और पता गुप्त रखा जाता है।
- चुनावी बॉन्ड केवल एसबीआई की शाखाओं से खरीदे जा सकते हैं।