आंध्र प्रदेश का मशहूर मंदिर तिरुपति बालाजी (Tirupati Balaji Mandir) में प्रसाद के तौर पर मिलने वाले लड्डू में जब से जानवरों की चर्बी होने की बात का दावा सीएम चंद्रबाबू नायडू ने किया गया है, तब से ये मामला दिन ब दिन गरमाता जा रहा है। मंदिर में बनने वाला लड्डू प्रसादम भगवान को भोग के तौर पर चढ़ाया जाता है और फिर लोगों में प्रसाद की तरह बांटा जाता है।
तिरुपति लड्डू विवाद पर ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि यह कोई विवाद नहीं है, यह उससे कहीं अधिक है। एक मंगल पांडे को मुंह से कारतूस खोलने को कहा गया, देश में क्रांति हो गई। आज करोड़ों भारतीयों के मुंह में भगवान और आस्था के नाम पर गाय की चर्बी डाल दिया गया, यह कोई छोटी बात नहीं है।
बात यह है कि यह हिंदू समुदाय के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। 4-5 दिन हो गए हैं, हमें नहीं पता कि यह किसने किया है। जांच में देरी होगी और फिर अन्य मुद्दे सामने आएंगे। यह एक बड़ा अपराध, एक संगठित अपराध, हिंदू समुदाय के खिलाफ अपराध है। जो भी जिम्मेदार है, उसे सामने लाया जाना चाहिए। जब तक ‘गौमाता’ है, हम अशुद्ध नहीं हो सकते, और इसीलिए वे ‘गौमाता’ की हत्या कर रहे हैं।
इससे पहले शंकराचार्य ने सोमवार को लखनऊ में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “इतनी बड़ी घटना हुई है…तिरुपति मंदिर के ट्रस्टी, पदाधिकारी, वरिष्ठ अधिकारी, सभी दोषी हैं। अगर जांच के दौरान किसी तीसरे व्यक्ति की भूमिका भी सामने आती है, तो भी प्रथम दृष्टया वे ही दोषी हैं।”
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उन्होंने देश में गोहत्या पर चिंता व्यक्त की और गोहत्या रोकने के लिए कानून बनाने की मांग की। संत ने इस मामले में सक्रिय कदम न उठाने के लिए एनडीए की भी आलोचना की और कहा कि यह साबित हो गया है कि ‘उन्होंने हिंदुओं को धोखा दिया है।’ उन्होंने कहा कि अगर देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री ‘असली हिंदू’ होते तो वे गोहत्या की इजाजत नहीं देते। उन्होंने आगे कहा, “या तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए था या फिर आदेश पारित करना चाहिए था कि अब कोई गोहत्या नहीं हो सकती।”