लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजयी रथ को रोकने के उद्देश्य से तैयार किए गए इंडिया गठबंधन में लीडरशिप को लेकर मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा गठबंधन की कमान संभालने का दावा पेश किए जाने के बाद इस मुद्दे पर सहयोगी दलों में असहमति बढ़ गई है। जब गठबंधन बना तो ममता बैठकों में शामिल हुईं लेकिन बाद के दिनों में वे गठबंधन को लेकर गंभीर नहीं दिखीं। लेकिन अब चुनाव के बाद ममता बनर्जी इस गठबंधन को लीड करने की कोशिश कर रही हैं।
लेकिन कांग्रेस ने ममता बनर्जी के दावे पर असहमति जताई है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि गठबंधन का नेतृत्व सामूहिक सहमति से तय किया जाना चाहिए। कांग्रेस का कहना है कि गठबंधन का नेतृत्व किसी एकतरफा निर्णय पर आधारित नहीं हो सकता। यह सभी सहयोगी दलों की सहमति से तय होना चाहिए। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने ममता बनर्जी के नेतृत्व का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी नेतृत्व क्षमता और भाजपा के खिलाफ बंगाल में उनकी जीत गठबंधन के लिए फायदेमंद हो सकती है। सपा प्रवक्ता उदयवीर सिंह ने कहा कि “ममता बनर्जी ने भाजपा को बंगाल में रोकने का काम किया है। अगर उन्होंने इंडिया गठबंधन की लीडरशिप के लिए अपनी इच्छा जाहिर की है, तो इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।”
जबकि राजद इस पूरे गठबंधन का आधार लालू यादव को बता रही है। राष्ट्रीय जनता दल ने इस बहस को एक नई दिशा देते हुए लालू प्रसाद यादव को इंडिया गठबंधन का असली शिल्पकार करार दिया। राजद का कहना है कि “यह गठबंधन किसी एक व्यक्ति की महत्वाकांक्षा पर आधारित नहीं है। लालू प्रसाद यादव ने इस गठबंधन की नींव रखी थी और उनकी दृष्टि ही इसे आगे ले जाएगी।”
ममता बनर्जी के बयान और कांग्रेस की असहमति ने इंडिया गठबंधन के भीतर एकता और सामंजस्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां कुछ दल ममता बनर्जी के समर्थन में हैं, वहीं कांग्रेस जैसे प्रमुख दल सामूहिक नेतृत्व की वकालत कर रहे हैं।