आज 11 अक्टूबर को संपूर्ण क्रांति के जनक जयप्रकाश नारायण की जयंती है। वो जयप्रकाश नारायण जिन्होंने देश की आजादी से पहले अंग्रेजों से लोहा लिया और आजादी के बाद निरंकुश शासन के खिलाफ बिगुल फूंका। वो जयप्रकाश जिन्होंने सत्ता के मध में चूर इंदिरा गांधी की कुर्सी हिलाकर रख दिया। वो जयप्रकाश जिनकी वजह से देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी। वो जयप्रकाश जिन्हें कभी किसी पद की लालसा नहीं रही। वो जयप्रकाश जिन्होंने कभी भी अपने सिद्धांत से समझौता नहीं किया। वो जयप्रकाश जिनकी वजह से दबे-कुचले और पिछड़े समाज के लोग भी सत्ता की कुर्सी तक पहुंचे। जिसका उदहारण लालू यादव,नीतीश कुमार और रामविलास पासवान जैसे कई नेता हैं। जयप्रकाश नारायण के जीवन को दो भागो में बांटा जा सकता है। एक देश की आजादी के पहले वाला और दूसरा आजादी के बाद वाला। उनके जीवन के दूसरे भाग के बारे में आपको बताएँगे।
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राजनीति वापस लौटे जेपी तो हिला डाली इंदिरा की सरकार
जेपी पूरा जीवन लोगों की भलाई के लिए संघर्ष करते हुए गुजरा। देश की आजादी के बाद वो विनोबा भावे के सर्वोदय आंदोलन से प्रभावित हुए। साल 1954 में उन्होंने आंदोलन के लिए खुद को समर्पित करने का ऐलान किया। साल 1957 में उन्होंने राजनीति को अलविदा कह दिया था। हालांकि 1960 के दसक आते वो एक बार फिर राजनीति में सक्रीय हुए। उनका राजनीति में कमबैक बहुत शानदार रहा। जिसने देश का पूरा राजनीतिक मानचित्र ही बदल कर रख दिया। 5 जून 1974 पटना के गांधी मैंदान से उन्होंने तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार के विरोध में संपूर्ण क्रांति का नारा दिया।
उन्होंने कहा था कि “भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रांति लाना, आदि ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं; क्योंकि वे इस व्यवस्था की ही उपज हैं। वे तभी पूरी हो सकती हैं जब सम्पूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए और सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रान्ति, ’सम्पूर्ण क्रान्ति’ आवश्यक है।” उनका ये नारा देशव्यापी हो गया। इसी नारे की बदौलत ही इंदिरा गांधी को सत्ता से बाहर कर देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी।
इमरजेंसी में 7 महीने जेल में रहे बंद
जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति के आह्वान को देश भर में समर्थन मिलाना शुरू हो गया था। जिसे देखते हुए इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता की कुर्सी को बचने के लिए देश में इमरजेंसी लगा दिया। अपने विरुद्ध उठा रहे आवाज को दबाने के लिए इंदिरा गांधी ने जेपी सहित 600 विरोधी नेताओं को गिरफ्तार करवाया और प्रेस पर भी सेंसरशिप लगा दिया। 7 महीने तक जेपी जेल में बंद रहे। इस दौरान उनकी उनका स्वास्थ्य भी बिगता चला गया। लेकिन उनके अनादर का जोश और जन कल्याण की भावना में कोई कमी नहीं आई। साल 1977 के लोकसभा चुनाव में जेपी ने इंदिरा के विरोदी दलों को एक जुट किया। और इंदिरा गांधी को सत्ता से बहार का रास्ता दिखा दिया। जिसके बाद देश में पहली बाद गैर कांग्रेसी सरकार बनी। जिसमें मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने।