पिछले कुछ सालों में उमर खालिद का नाम पूरे देश में पहचान गया। पहले जेएनयू में नारेबाजी मामले में उमर का नाम सामने आया। बाद में दिल्ली दंगे और भड़काऊ भाषण देने के भी मामले में उमर खालिद पर आरोप लगे। उमर खालिद जेल में है। एक बार फिर उसकी बेल की अपील रद्द हो गई है। मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने उमर खालिद के जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।
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उमर पर दिल्ली पुलिस के आरोप
दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद पर 2020 के दंगों के कथित ‘मुख्य साजिशकर्ता’ होने का आरोप लगाया है। साथ ही अमरावती में दिए उसे भाषण पर भी मामला दर्ज हुआ है जिसमें अमरावती का आरोपी का भाषण बहुत ही नाप तौल कर दिया गया भाषण था। इसमें बाबरी मस्जिद, तीन तलाक, कश्मीर में मुसलमानों का उत्पीड़न, CAA, NPR, NRC समेत कई बिंदु शामिल थे।
खालिद की सफाई
उमर खालिद के बचाव में उसकी ओर से बताया गया कि उसने सीएए समेत उन्हीं मुद्दों को उठाया है, जिनके बारे में देशभर में कई तरह की चर्चा चल रही थीं। ऐसे मुद्दों को उठाना गैरकानूनी नहीं है। वहीं अमरावती के जिस भाषण को आधार बनाया गया है, उसमें न केवल अहिंसा का आह्वान किया गया था, बल्कि उससे कहीं कोई हिंसा भी नहीं भड़की थी।
9 सितंबर को फैसला सुरक्षित रखा गया था
दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर खालिद की दिल्ली दंगों की साजिश से जुड़े मामले में जमानत याचिका पर फैसला 9 सितंबर को सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से कोर्ट में यह बताया गया कि उसका दिल्ली दंगों से कोई लेना देना नहीं है। साथ ही उसके आरोपियों से भी खालिद ने किसी प्रकार के कनेक्शन से इनकार किया है। बता दें कि फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोगों की जान गयी थी। जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।