UPSC में लैटरल एंट्री को लेकर विवाद शुरू हो चुका है। विपक्ष सरकार पर हमला कर रहा है कि सीधे 45 संयुक्त सचिव, उप-सचिव और निदेशक स्तर की नौकरियां निकाली है लेकिन इनमें आरक्षण का प्रावधान नहीं है। तेजस्वी यादव का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार बाबा साहेब के लिखे संविधान और आरक्षण के साथ कैसा घिनौना मजाक एवं खिलवाड़ कर रही है। तो दूसरी ओर राहुल गांधी ने कहा है कि नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग की जगह ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ के ज़रिए लोकसेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं। इनका जवाब देने सामने आए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव कह रहे हैं कि यह तो उनके सरकार की योजना ही नहीं है। यह सोच तो यूपीए की सरकार यानि राहुल गांधी की पार्टी कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार की है, जिसे तेजस्वी यादव की पार्टी राजद समर्थन दे रही थी।
सबसे पहले UPSC लैटरल एंट्री पर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मोदी सरकार पर बड़े आरोप लगाए हैं। तेजस्वी यादव ने कहा है कि “केंद्र की मोदी सरकार बाबा साहेब के लिखे संविधान और आरक्षण के साथ कैसा घिनौना मजाक एवं खिलवाड़ कर रही है, यह विज्ञापन उसकी एक छोटी सी बानगी है। UPSC ने लैटरल एंट्री के ज़रिए सीधे 45 संयुक्त सचिव, उप-सचिव और निदेशक स्तर की नौकरियां निकाली है लेकिन इनमें आरक्षण का प्रावधान नहीं है। अगर UPSC सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से 45 IAS की नियुक्ति करती तो उसे SC/ST और OBS को आरक्षण देना पड़ता यानि 45 में से 22-23 अभ्यर्थी दलित, पिछड़ा और आदिवासी वर्गों से चयनित होते।”
इसके बाद राहुल गांधी ने कहा कि “नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग की जगह ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ के ज़रिए लोकसेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के ज़रिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है। टॉप ब्यूरोक्रेसी समेत देश के सभी शीर्ष पदों पर वंचितों का प्रतिनिधित्व नहीं है, उसे सुधारने के बजाय लेटरल एंट्री द्वारा उन्हें शीर्ष पदों से और दूर किया जा रहा है। यह UPSC की तैयारी कर रहे प्रतिभाशाली युवाओं के हक़ पर डाका और वंचितों के आरक्षण समेत सामाजिक न्याय की परिकल्पना पर चोट है।”
इसके बाद अश्विनी वैष्णव ने कहा कि “लैटरल एंट्री मामले में कांग्रेस का पाखंड स्पष्ट है। लैटरल एंट्री की अवधारणा यूपीए सरकार ने ही विकसित की थी। 2005 में यूपीए सरकार के दौरान दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग (एआरसी) स्थापित किया गया था। वीरप्पा मोइली ने इसकी अध्यक्षता की थी। यूपीए काल के एआरसी ने विशेष ज्ञान की आवश्यकता वाले पदों में रिक्तियों को भरने के लिए विशेषज्ञों की भर्ती की सिफारिश की थी। एनडीए सरकार ने इस सिफारिश को लागू करने के लिए एक पारदर्शी तरीका बनाया है। भर्ती यूपीएससी के माध्यम से पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से की जाएगी। इस सुधार से शासन में सुधार होगा।”
कुल मिलाकर स्थिति यह है कि राहुल गांधी की पार्टी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की योजना को भाजपा की नेतृत्व वाली मोदी सरकार लागू कर रही है।