मंगलवार 16 जनवरी को वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में हिन्दू पक्ष द्वारा वजूखाने की सफाई को लेकर दी गयी याचिका की सुनवाई हुई। जिसमे सीजेआई डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने डीएम की देख रेख में उक्त वजूखाने की सफाई की अनुमति दी है। वजूखाना में मछलियों के मर जाने के बाद 3 जनवरी को यह याचिका दाख़िल की गई थी, जहां कोर्ट ने जल्द सुनवाई का भरोसा दिलाया था।
बता दें कि अपनी याचिका में हिन्दू पक्ष ने कहा था कि वजूखाने के चारो बगल पानी में मछलियाँ थीं, जो पिछले साल 12 से 25 दिसम्बर के बीच ही मर गयी थीं और इससे बदबू पूरे परिसर में फैल गयी थी और वहीँ हमारे महादेव का शिवलिंग भी है। शिवलिंग के चारों ओर इस प्रकार से मरे जीवों और उनकी बदबू, ऐसी निकृष्ट चीज़ें हमारे धर्म में किसी भी लिहाज़ से सही नहीं है। ऐसे में हमारी आस्था को ठेंस पहुचता है और इसीलिए जल्द से जल्द इसकी सफाई होना बहुत जरूरी है।
उक्त याचिका अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के जरिए सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है, जिसमें कहा गया था कि अंजुमन इंटेजामिया मस्जिद ज्ञानवापी परिसर में मस्जिद का प्रबंधन करती है। इसीलिए मछलियों के मारे जाने के लिए भी वो ही जिम्मेदार हैं और इसको साफ़ करने की जिम्मेदारी भी उसी की है।
आपको बता दें कि 2022 में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश पर ज्ञानवापी के ‘वज़ुखाना’ क्षेत्र को सील कर दिया गया था। क्योंकि वहाँ ‘शिवलिंग’ के आकार का पत्थर मिला था। इस संरचना को हिंदू पक्ष द्वारा ‘शिवलिंग’ और मुस्लिम पक्ष द्वारा ‘फव्वारा’ होने का दावा किया गया था।