2024 के लोकसभा चुनाव में मिली हार का दर्द राष्ट्रीय लोक मोर्चा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा अभी भी भूले नहीं हैं। उन्होंने इसके लिए एक बार फिर एनडीए के कुछ नेताओं को जिम्मेदार ठहराया है। 3 दिनों तक वाल्मीकि नगर में राजनितिक मंथन के बाद राष्ट्रीय लोक मोर्चा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि हम लोगों ने 14 सूत्री प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें 25 मई से संविधान अधिकार परिसीमन सुधार कार्यक्रम के तहत कई जिलों को मिलाकर रैली करेंगे। पहली रैली शाहाबाद से शुरू होगी, दूसरा मुजफ्फरपुर में होगा।

उपेंद्र कुशवाहा ने शाहाबाद से रैली शुरू करने का मकसद भी बता दिया। उन्होंने बीजेपी को नसीहत देते हुए कहा कि शाहाबाद से कार्यक्रम शुरू करने का खास मकसद है। उन्होंने कहा कि दाव पेंच की गंदी राजनीति में लोकसभा चुनाव में पूरा इलाका साफ हो गया। शाहाबाद और इससे सटा मगध के इलाके में षडयंत्र की वजह से एनडीए का खाता नहीं खुला। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी सभी बात जानते हैं और स्थानीय लोग वाकिफ है कि षडयंत्र के पीछे कौन है?
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उन्होंने एनडीए नेताओं को चेताते हुए कहा कि इस बार सजग रहना है, इसलिए शाहबाद से कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। विधानसभा चुनाव कैसे मजबूती से जीता जा सके इसको लेकर विचार किया गया। शाहाबाद में 2023 लोकसभा चुनाव में जो चूक हुई थी। इस बार अगर चुक हुई, तो सत्ता से भी हम लोग बाहर हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि एक बड़ा मुद्दा है, जिसको लेकर पिछले 50 वर्षों से कुछ राज्यों का नुकसान हो रहा है। वह मुद्दा डिलिमिटेशन का है।
विधानसभा में बढ़ जाएगी संख्या
संविधान कहता है कि हर 10 वर्ष में जनगणना और इसके अनुसार परिसीमन निर्धारित करना है। शुरू में 30 वर्ष यह व्यवस्था चली 1971 तक, लेकिन इसके बाद आपातकाल आ गया और देशभर के लोग इसके विरोध में आए। यदि नया परिसीमन हो तो लोकसभा में बिहार से 40 के बदले 60 सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचेंगे, वैसे ही विधानसभा में भी संख्या बढ़ जाएगी। औसतन 10 लाख मतदाता मिलकर एक सांसद चुनते हैं, जबकि कई ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं, जहां 30 लाख लोग मिलकर एक सांसद चुन रहे हैं। इससे सभी वर्गों का नुकसान हो रहा है। आपातकाल के इस काले धब्बे को दूर करने के लिए हमारी पार्टी किसी भी सीमा तक जाएगी। बढ़ी हुई आबादी के हिसाब से क्षेत्रों की संख्या नहीं बढ़ाई गई और विकेंद्रीकरण नहीं किया गया।