संसद में पेश किए गए ‘विकसित भारत-रोजगार एवं आजीविका गारंटी मिशन अधिनियम (Viksit Bharat Bill 2025)’ ने देश की राजनीति में तीखी बहस को जन्म दे दिया है। कांग्रेस, राजद और समाजवादी पार्टी ने इस प्रस्तावित कानून को लेकर सरकार की मंशा, नीयत और नीति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। मुद्दा केवल रोजगार गारंटी का नहीं रहा, बल्कि यह गांधी के नाम, लोकतांत्रिक मूल्यों और चुनावी निष्पक्षता तक फैल गया है।
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने इस विधेयक को यूपीए काल में सोनिया गांधी के नेतृत्व में शुरू की गई रोजगार गारंटी योजना से जोड़ते हुए आरोप लगाया कि भाजपा और जनसंघ की विचारधारा शुरू से ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति विरोधी रही है। उन्होंने कहा कि योजना के नाम से गांधी का नाम हटाना सिर्फ प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि एक वैचारिक हमला है। तिवारी के अनुसार, यह देश अपने राष्ट्रपिता के सम्मान के लिए लोकतांत्रिक तरीके से पूरी ताकत से विरोध करेगा और कांग्रेस इस लड़ाई में पीछे नहीं हटेगी। उनका यह बयान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच वैचारिक टकराव को और गहरा करता है, जहां एक तरफ ‘विकसित भारत’ का नैरेटिव है तो दूसरी तरफ गांधीवादी परंपरा का सवाल।
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इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोज झा ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बयान के संदर्भ में चुनावी व्यवस्था की निष्पक्षता पर व्यापक बहस छेड़ दी। मनोज झा का कहना है कि जब वोट चोरी, चुनाव आयोग और लेवल प्लेइंग फील्ड जैसे मुद्दों की बात होती है, तो यह किसी एक राज्य या पार्टी तक सीमित नहीं रहता। यह लोकतंत्र के पूरे ढांचे से जुड़ा सवाल बन जाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि निष्पक्ष चुनाव सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि निष्ठा और सत्य के साथ ज़मीन पर दिखने चाहिए, और इस चिंता में भाजपा समेत सभी राजनीतिक दलों को शामिल होना चाहिए।
विधेयक के सामाजिक-आर्थिक पहलू पर समाजवादी पार्टी सांसद अवधेश प्रसाद ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने याद दिलाया कि देशभर में मनरेगा के तहत काम करने वाले लाखों मजदूरों को लंबे समय से उनकी मज़दूरी नहीं मिली है। ऐसे में किसी नए कानून से पहले बकाया भुगतान की गारंटी अनिवार्य होनी चाहिए। अवधेश प्रसाद ने यह भी कहा कि महंगाई लगातार बढ़ी है, लेकिन मजदूरी उसी अनुपात में नहीं बढ़ी, जिससे श्रमिकों की क्रय शक्ति कमजोर हुई है। उनका तर्क है कि 125 दिन का काम अपर्याप्त है और कम से कम 200 दिन की रोजगार गारंटी होनी चाहिए। उन्होंने इस बिल को संसदीय समिति के पास भेजने की मांग कर इसे और व्यापक विमर्श के दायरे में लाने पर जोर दिया।
समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने विकसित भारत – रोजगार एवं आजीविका गारंटी मिशन अधिनियम 2025 पर कहा, “मेरी राय में इस विधेयक को लाने की आवश्यकता ही नहीं है। इससे भाजपा पर जो आरोप लगता रहा है उसकी पूरी तरह पुष्टि हो गई है कि भाजपा शुरू से ही महात्मा गांधी की विरोधी रही है। इसमें नया क्या ला रहे हैं? सिर्फ नाम ही बदल रहे हैं। ये विधेयक लाने की आवश्यकता ही नहीं है।”


















