पूर्व सांसद आनंद मोहन ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) की हार और भाजपा की जीत पर चर्चा करते हुए लोकतंत्र में “सत्ता के नियमित परिवर्तन” को अनिवार्य बताया। उन्होंने एक अनूठे अंदाज़ में कहा, “रोटी को उलट-पलट कर ही पकाया जाता है, नहीं तो जल जाती है। सत्ता भी वैसी ही है!” यह बयान अब सियासी गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक सनसनी बना हुआ है, खासकर बिहार में, जहां नीतीश कुमार 18 साल से सत्ता की ‘रोटी’ से चिपके हैं।
लोहिया के सिद्धांत और ‘रोटी’ का मेटाफर
नालंदा के चंडी में एक निजी कार्यक्रम में बोलते हुए मोहन ने समाजवादी चिंतक डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों को याद किया। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र की ताकत उसकी गतिशीलता में है। जिस तरह तवे पर रोटी एक तरफ ज्यादा देर नहीं रखी जा सकती, वैसे ही सत्ता में भी बदलाव ज़रूरी है। लंबे समय तक एक ही पार्टी का शासन भ्रष्टाचार, जनाक्रोश और ठहराव लाता है।” उनके इस दृष्टांत ने दिल्ली के नतीजों को ‘लोकतंत्र की जीत’ बताया।
दिल्ली चुनाव नतीजों के बाद AAP पर प्रहार: “सपने दिखाकर सत्ता नहीं चलती!”
आनंद मोहन ने AAP की हार को ‘जनता का झटका’ बताते हुए कहा, “वादे और प्रचार से सरकार नहीं चलती। AAP ने शिक्षा-स्वास्थ्य के बड़े दावे किए, लेकिन ज़मीन पर काम नहीं दिखा। जनता ने यह संदेश दिया है कि उसे ‘झूठे सपनों’ से अब सरोकार नहीं।” उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र में जनता का धैर्य कम होता है और वह नाकाम सरकार को तुरंत बेदखल कर देती है।
आनंद मोहन के बयान से बिहार में भूचाल की आहट?
पूर्व सांसद आनंद मोहन का बयान बिहार की राजनीति में भी बम की तरह फटा है, जहां 2025 के विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं। नीतीश कुमार 2005 से लगातार सत्ता में हैं। आनंद मोहन का बयान वायरल होते ही ट्विटर और फेसबुक पर मीम्स और डिबेट्स का बाज़ार गर्म हो गया। सवाल यह है कि आनंद मोहन की टिप्पणी तो नीतीश कुमार पर भी फिट है क्योंकि 20 साल से नीतीश कुमार ही बिहार के सीएम हैं।