नई दिल्ली: ईरान और इजराइल के बीच जारी युद्ध अब एक बेहद खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। मंगलवार को ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने एक चौंकाने वाला दावा किया है। IRGC ने घोषणा की है कि उसने इजराइल के सैन्य खुफिया विभाग और मोसाद के एक ऑपरेशन सेंटर को नष्ट कर दिया है, जो तेल अवीव के पास स्थित था। यह दावा तब आया है जब दोनों देशों के बीच पांचवें दिन भी मिसाइलों की बारिश और राजधानी शहरों में धमाकों का सिलसिला जारी है।
ईरान और इजराइल के बीच तनाव चरम पर है। IRGC के इस बयान ने विश्व समुदाय को हिलाकर रख दिया है, क्योंकि इससे पहले भी दोनों देशों के बीच खुफिया एजेंसियों को निशाना बनाने की घटनाएं सामने आई हैं। स्वतंत्र स्रोतों, जिसमें प्रवदा ईएन और अल जज़ीरा शामिल हैं, ने इस घटना की पुष्टि की है और बताया कि मिसाइल हमले अब और तेज हो गए हैं।
यह पहली बार नहीं है जब मोसाद और IRGC के बीच ऐसी टक्कर देखी गई हो। इतिहास में 2007 में ईरानी जनरल अली रेजा अस्करी की मोसाद द्वारा प्रायोजित रक्षा और 2011 में IRGC के इमाम अली सैन्य अड्डे पर हुए विस्फोट जैसे मामले सामने आ चुके हैं। ये घटनाएं इस बात का संकेत देती हैं कि दोनों देशों के बीच खुफिया युद्ध लंबे समय से चल रहा है, जो अब खुले संघर्ष में तब्दील हो रहा है।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, मध्य पूर्व में हथियारों की प्रौद्योगिकी में 2020 के बाद से 20% की वृद्धि हुई है, जिसमें ईरान को मिसाइल तकनीक का हस्तांतरण भी शामिल है। यह वृद्धि ईरान को इस तरह के सटीक हमलों को अंजाम देने में सक्षम बना सकती है। हालांकि, इस घटना पर अभी तक कोई समीक्षित अध्ययन उपलब्ध नहीं है।
इस घटनाक्रम से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बढ़ गई है। मध्य पूर्व में शांति और हथियार नियंत्रण को लेकर चल रही कोशिशों को यह घटना गहरा झटका दे सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह संघर्ष और बढ़ा, तो क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।