बिहार की सियासत में एक नया मोड़ आ गया है। एनडीए ने जहां 2025 के चुनाव के लिए नीतीश कुमार के नेतृत्व की घोषणा कर दी है, वहीं महागठबंधन अब तक अपने सीएम चेहरे को लेकर असमंजस में है। कांग्रेस जहां बार-बार कह रही है कि चुनाव के बाद ही यह तय होगा कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा, वहीं आरजेडी के तेजस्वी यादव ने खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित कर दिया।
तेजस्वी का ‘सीएम कार्ड’—राजनीति में बड़ा दांव!
एक कार्यक्रम में तेजस्वी यादव ने खुद को मुख्यमंत्री बताकर महागठबंधन के भीतर हलचल मचा दी। सवाल उठने लगे कि क्या यह तेजस्वी की सुनियोजित रणनीति थी? क्या उन्होंने कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों को चुनाव से पहले ‘शांत’ करने के लिए यह कदम उठाया? या फिर यह उनका आत्मविश्वास था, जो उन्होंने खुलकर जाहिर कर दिया?
महागठबंधन में दरार? कांग्रेस ने ठुकराया तेजस्वी का दावा
तेजस्वी यादव के इस बयान के बाद महागठबंधन के भीतर ही विरोध के सुर उठने लगे। कांग्रेस ने दो टूक कह दिया कि मुख्यमंत्री पद का फैसला जनता के बाद होगा, न कि अभी। कांग्रेस का कहना है कि जब महागठबंधन की बैठक होगी, तभी तय किया जाएगा कि कौन होगा महागठबंधन का चेहरा।
कांग्रेस का रुख क्यों बदला?
- कांग्रेस लंबे समय से महागठबंधन में बड़ी हिस्सेदारी और सीटों पर अधिक दावा चाहती है।
- कांग्रेस यह दिखाना चाहती है कि महागठबंधन सिर्फ आरजेडी की जागीर नहीं है।
- क्या कांग्रेस तेजस्वी के नेतृत्व को पूरी तरह स्वीकार नहीं कर रही?
भाजपा ने साधा निशाना—”खुद को यूएन सेक्रेटरी भी घोषित कर लीजिए!”
महागठबंधन के इस उठापटक पर भाजपा ने भी तंज कसना शुरू कर दिया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि “अगर तेजस्वी यादव खुद को मुख्यमंत्री घोषित कर सकते हैं, तो वह खुद को यूएन का सेक्रेटरी जनरल भी घोषित कर लें! आखिर यह फैसला जनता करेगी, न कि कोई खुद अपने मुंह से।”
सीट बंटवारे को लेकर बढ़ेगी महागठबंधन की मुश्किलें?
महागठबंधन के लिए सिर्फ मुख्यमंत्री पद ही नहीं, बल्कि सीटों का बंटवारा भी एक बड़ा सिरदर्द बनता जा रहा है। क्योंकि मुकेश सहनी की वीआईपी ने 60 सीटों की मांग कर दी है। कांग्रेस भी चाहती है कि उसे पिछली बार से अधिक सीटें मिलें। छोटे दल भी अपने-अपने हिस्से की सीटों पर अड़े हुए हैं।
क्या महागठबंधन में फूट तय है?
अगर कांग्रेस और अन्य सहयोगी तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार मानने से इनकार करते हैं, तो महागठबंधन में फूट पड़ सकती है।
सवाल यह भी है कि क्या कांग्रेस कहीं न कहीं अपना अलग रास्ता तलाश रही है? या क्या चुनाव से पहले ही महागठबंधन कमजोर होकर बिखर जाएगा?
क्या 2025 के चुनाव से पहले टूट जाएगा महागठबंधन?
बिहार की राजनीति में 2025 विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा संकट खड़ा हो गया है। एनडीए ने जहां अपना नेतृत्व तय कर दिया है, वहीं महागठबंधन अभी भी कन्फ्यूजन में फंसा हुआ है। तेजस्वी यादव ने खुद को सीएम चेहरा बताकर कांग्रेस और अन्य दलों को झटका दे दिया है। कांग्रेस ने इसे खारिज कर दिया है, जिससे विवाद और गहरा सकता है।