नई दिल्ली : दिल्ली के अशोक विहार क्षेत्र में आज एक बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ अभियान चलाया गया, जिसमें 2100 से अधिक अवैध झुग्गियों को ध्वस्त किया गया। यह अभियान दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा चलाया गया और इसे “बुलडोजर मॉडल” के रूप में वर्णित किया गया है, जो हाल के वर्षों में भारत में शहरी शासन का एक प्रचलित रूप बन गया है।
अभियान के दौरान, जेलर वाला बाग क्षेत्र में 200 से अधिक घरों को तोड़ा गया, जहां भारी पुलिस बल और barricades तैनात किए गए थे। डीसीपी (उत्तर-पश्चिम) भिष्म सिंह ने बताया कि इस अभियान में लगभग 250 पुलिस अधिकारी तैनात किए गए थे।
यह कदम दिल्ली में अवैध अतिक्रमणों को हटाने के लिए एक व्यापक प्रयास का हिस्सा है, जिसमें पहले 1600 लोगों को डीडीए फ्लैट्स से विस्थापित किया जा चुका है। हालांकि, इस तरह के अभियानों को अक्सर कानूनीता, मानव अधिकारों और शहरी योजना के बीच टकराव के रूप में देखा जाता है।
शहरी गरीबों के लिए, ये अभियान अक्सर पुनर्वास की कमी के कारण विस्थापन और अनिश्चितता लाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स और अध्ययनों के अनुसार, ऐसे कदमों को अवैध निर्माणों को हटाने के लिए सराहा जाता है, लेकिन साथ ही शहरी गरीबों पर पड़ने वाले प्रभाव के लिए आलोचना भी झेलनी पड़ती है।
इस अभियान के बाद, दिल्ली और अन्य भारतीय शहरों में इसी तरह के अभियानों की एक श्रृंखला देखी गई है, जो शहरी विकास और निवासियों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को रेखांकित करती है।