Nimisha Priya Case: यमन की एक जेल में फांसी की सजा पा चुकी भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के लिए आज का दिन निर्णायक साबित हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट आज उसकी याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें केंद्र सरकार से यमन सरकार के साथ राजनयिक हस्तक्षेप करने की मांग की गई है। निमिषा को 16 जुलाई को फांसी दी जानी है, यानी अब महज 48 घंटे का समय बचा है।
‘ब्लड मनी’ का विकल्प?
निमिषा के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया है कि यमन के शरिया कानून के तहत पीड़ित के परिवार को ‘दिया’ (ब्लड मनी) देकर सजा से बचा जा सकता है। निमिषा के परिवार ने पीड़ित तलाल अब्दो के परिवार को 8.6 करोड़ रुपये देने की पेशकश की है, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है।
क्यों नहीं माफ कर रहा पीड़ित का परिवार?
2017 में निमिषा पर आरोप लगा कि उसने अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल को नशीले पदार्थ देकर मार डाला और उसके शव के टुकड़े कर दिए। यमन की अदालतों ने इसके बाद उसे “पूर्वनियोजित हत्या” का दोषी पाया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तलाल का परिवार किसी भी कीमत पर माफी देने को तैयार नहीं है, जिससे निमिषा के लिए हालात और जटिल हो गए हैं।
निमिषा के परिवार और केरल सरकार ने केंद्र से राजनयिक दबाव बनाने की गुहार लगाई है। हालांकि, यमन में भारत का कोई दूतावास नहीं है, जिससे संवाद की प्रक्रिया मुश्किल हो रही है। सुप्रीम कोर्ट आज यह तय करेगा कि क्या भारत सरकार को कानूनी तौर पर हस्तक्षेप करने का निर्देश दिया जा सकता है।
क्या कहता है यमन का कानून?
यमन में शरिया कानून के तहत किस्लास (बदला) और दिया (रक्त धन) का प्रावधान है। अगर पीड़ित का परिवार माफ कर दे, तो फांसी रोकी जा सकती है। लेकिन इस मामले में तलाल के परिवार का रुख सख्त है, जिससे निमिषा की माफी की उम्मीदें धूमिल हो गई हैं।


















