बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का 74वां जन्मदिन इस बार केवल बधाइयों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसके पीछे एक बड़ा राजनीतिक संकेत भी छिपा रहा। जहां एक ओर प्रदेशभर से उन्हें शुभकामनाएं मिल रही थीं, वहीं दूसरी ओर पटना के महावीर मंदिर में एक दिलचस्प दृश्य सामने आया। यहां मुख्यमंत्री के बेटे निशांत कुमार ने अपने पिता के लिए भगवान बजरंगबली से विशेष प्रार्थना की। लेकिन इस पूजा के पीछे केवल आध्यात्मिक भावनाएं नहीं, बल्कि गहरे राजनीतिक संदेश भी छिपे थे।
मंदिर में पिता के लिए मांगा आशीर्वाद, राजनीति में एंट्री के संकेत?
निशांत कुमार, जो अब तक राजनीति से दूरी बनाए हुए थे, इस बार पूरी तरह से अलग अंदाज में नजर आए। उन्होंने खुले तौर पर कहा कि उनके पिता ने बिहार के लिए बहुत काम किया है और जनता उन्हें विकास पुरुष के रूप में देखती है। उनकी प्रार्थना केवल व्यक्तिगत नहीं थी, बल्कि इसमें एक अपील भी थी—कि उनके पिता आगे भी मुख्यमंत्री बने रहें और बिहार को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाएं।
निशांत ने कहा कि “बिहार के लिए पिताजी ने बहुत काम किया है, इसलिए उन्हें लोग विकास पुरुष कहते हैं। मैं भगवान से यही प्रार्थना करता हूं कि उनकी कृपा हम दोनों पर बनी रहे और पिताजी आगे भी बिहार का नेतृत्व करते रहें।”
पिछले कुछ दिनों से निशांत के राजनीतिक सक्रियता के संकेत मिल रहे हैं। उन्होंने हाल ही में एक बयान देकर स्पष्ट किया था कि वह अपने पिता के पक्ष में जनता से समर्थन मांग रहे हैं। उन्होंने कहा था कि इस बार जनता को ज्यादा सीटें देकर मजबूत जनादेश देना चाहिए ताकि विकास कार्य निर्बाध रूप से चलते रहें।
उनका यह कहना कि “हम अपने कार्यकर्ताओं से अपील करते हैं कि पिता जी के 19 वर्षों के काम को जन-जन तक पहुंचाएं और जनता को बताएं कि बिहार में क्या हो रहा है,” यह साफ संकेत देता है कि वह सियासी अखाड़े में उतरने की तैयारी में हैं।
पत्रकारों के सवालों पर मुस्कुराहट से दिया जवाब, लेकिन संकेत साफ!
जब पत्रकारों ने उनसे राजनीति में आने को लेकर सीधा सवाल किया, तो निशांत ने सीधे इनकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि “जनता के दरबार में चलते हैं, वही तय करेगी कि क्या करना है।” इसके बाद उन्होंने मुस्कुराते हुए सवालों को टाल दिया, लेकिन यह मुस्कान कई सियासी अटकलों को जन्म दे गई।