बिहार में कैबिनेट विस्तार से जो पहला संदेश गया वो यह था कि भाजपा की ताकत जदयू से डेढ़ गुनी हो गई है। यानि भाजपा के मंत्रियों की संख्या, जदयू के मंत्रियों की संख्या के मुकाबले डेढ़ गुनी है। बिहार के राजनीतिक दलों में बड़ा भाई – छोटा भाई बताने वाला खेल चलता रहता है। कैबिनेट विस्तार के बाद भाजपा के बड़े भाई की भूमिका का गुमान विभागों के बंटवारे से उलझ गया। क्योंकि नीतीश कुमार ने कई बड़े भाजपा नेताओं के पर कतर दिए। साथ ही केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के मंत्री बेटे संतोष कुमार सुमन को भी विभागों के बंटवारे में बड़ा झटका लगा है। नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी जदयू के किसी मंत्री का विभाग नहीं बदला है।
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बिहार की राजनीति में कैबिनेट विस्तार के बाद अब विभागों के बंटवारे ने हलचल मचा दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुछ मंत्रियों की पावर ट्रांसफर कर सियासी संदेश देने की कोशिश की है। खासतौर पर केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन और डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा की जिम्मेदारियों में कटौती ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
संतोष सुमन से दो बड़े विभाग वापस लिए गए
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के बेटे और ‘हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा’ (हम) के नेता संतोष सुमन को तगड़ा झटका लगा है। पहले उनके पास सूचना प्रौद्योगिकी, लघु जल संसाधन और आपदा प्रबंधन विभाग थे, लेकिन अब उनसे सूचना प्रौद्योगिकी और आपदा प्रबंधन विभाग छीन लिया गया है। अब उनके पास सिर्फ लघु जल संसाधन विभाग बचा है।
डिप्टी सीएम विजय सिन्हा की भी ‘पावर कट’
बिहार में भाजपा के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा की भी सत्ता में पकड़ कमजोर होती नजर आ रही है। पहले उनके पास पथ निर्माण, कला-संस्कृति और खनन विभाग थे, लेकिन अब उनसे पथ निर्माण और कला-संस्कृति विभाग छीन लिया गया है। अब उन्हें सिर्फ खनन और कृषि विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। भाजपा के अंदर ही इस फैसले को लेकर खलबली मची हुई है।
नगर विकास का जिम्मा बदलने से क्या बदलेगा समीकरण?
नगर विकास विभाग, जो पहले नितिन नवीन के पास था, अब उनसे वापस ले लिया गया है। यह अहम विभाग अब जीवेश मिश्रा को सौंप दिया गया है। नितिन नवीन को अब पथ निर्माण विभाग दिया गया है, जो पहले विजय सिन्हा के पास था। इस फेरबदल में जीवेश मिश्रा का कद तो बढ़ा है लेकिन नितिन नवीन का कद भी कम नहीं हुआ। नुकसान सिर्फ विजय कुमार सिन्हा को हुआ।
संजय सरावगी को बड़ा तोहफा, मिला नया विभाग
वहीं, बीजेपी विधायक संजय सरावगी को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का प्रभार दिया गया है। सरावगी बीजेपी के पुराने नेता और संगठन के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में यह बदलाव बीजेपी के अंदर जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने का प्रयास माना जा रहा है।
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