बिहार की सियासत एक बार फिर गरमाने लगी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा कोटे के मंत्रियों के साथ मंगलवार को शाम 4 बजे अपने आवास पर एक अहम बैठक बुलाई है। इससे पहले सोमवार को उन्होंने जदयू कोटे के मंत्रियों से चार घंटे लंबी बैठक की थी, जिसे ‘रूटीन’ बताया गया, लेकिन इसके तुरंत अगले दिन भाजपा मंत्रियों की बैठक यह साफ संकेत देती है कि सियासी गोटियां बिछाई जा रही हैं।
बैठक का एजेंडा: बोर्ड निगम में किसे मिलेगी जगह?
सूत्रों के अनुसार इस बैठक का मुख्य मुद्दा बोर्ड और निगमों का गठन हो सकता है। किसे इसमें शामिल किया जाए, इसे लेकर मुख्यमंत्री अपने दोनों दलों के मंत्रियों से सलाह-मशविरा कर रहे हैं। यह पद अक्सर चुनाव पूर्व पार्टी कार्यकर्ताओं को साधने के लिए प्रयोग होते हैं। भाजपा और जदयू दोनों अपने अपने प्रभावशाली चेहरों को निगमों में जगह दिलवाने की चाह रखते हैं।
तेजस्वी यादव की घोषणाओं से एनडीए में हलचल
राज्य में विधानसभा चुनाव में भले ही कुछ महीने बाकी हों, लेकिन विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव लगातार घोषणाओं की झड़ी लगा चुके हैं – चाहे वह माई-बहिन मान योजना हो, 200 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा हो या जीविका दीदी का मानदेय बढ़ाना। इन लोकलुभावन वादों ने एनडीए के रणनीतिकारों की चिंता बढ़ा दी है। अब संभव है कि बैठक में तेजस्वी के वादों के जवाब में एनडीए कुछ नई योजनाओं की घोषणा की रणनीति बनाए।
संगठन मजबूत करने की कवायद भी एजेंडे में
बैठक में जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने, कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने और सरकार की योजनाओं को जनता तक प्रभावशाली ढंग से पहुंचाने पर भी चर्चा होगी। “कैसे पार्टी की छवि को बेहतर किया जाए और विपक्षी दलों की रणनीति का जवाब दिया जाए,” इसपर मंत्रीमंडल के सदस्य विचार मंथन करेंगे।
बिहार की सियासी ज़मीन गर्म है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आगामी विधानसभा चुनाव से पहले कोई जोखिम नहीं लेना चाहते। दोनों प्रमुख घटक – भाजपा और जदयू – सामंजस्य, रणनीति और कार्यकर्ता संतुलन के साथ चुनावी समर में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बैठक से क्या बड़े निर्णय निकलते हैं और एनडीए तेजस्वी यादव के चुनौतियों का कैसे जवाब देता है।