बिहार में इस विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसको लेकर सियासी बयानबाजियां तेज है। सबसे दिलचस्प बात ये है कि इधर, कई महीनों से बिहार में जब भी किसी मंच पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बोलने का मौक़ा मिल रहा है तो वह सीधे लालू-राबड़ी शासन को याद कर रहे हैं। नीतीश कुमार सीधे अपनी उपलब्धियां गिनवाने के बजाय लालू राज को याद करते हैं। इस दौरान वह कई ऐसी बातें कह जाते हैं जो चर्चा का विषय बन जाता है। आज भी कुछ ऐसा ही हुआ।
दरअसल, बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएम सीएच के शताब्दी समारोह में शामिल होने के लिए भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पटना पहुंची हैं। इस कार्यक्रम में सीएम नीतीश कुमार भी मौजूद रहे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर से पुराने दिनों को याद किया और मंच से बताया कि क्यों उन्हें पहले पैदल चलना पड़ता था। इस दौरान नीतीश कुमार ने लालू-राबड़ी राज पर भी जमकर कटाक्ष किया।
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पीएमसीएच के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने लालू-राबड़ी राज को याद किया और कार्यक्रम में मौजूद लोगों को बताया कि कैसे बिहार में पहले जंगलराज की स्थिति थी। लालू-राबड़ी के राज में बिहार के लोग पहले खौफ के साये में जीते थे। घर से निकलना मुश्किल होता था। महिलाएं तो डर से घर के बाहर भी नहीं निकलती थीं लेकिन सरकार बदली तो सारी चीजें बदल गईं।
सीएम ने कहा कि पहले क्या था.. शाम के बाद कोई घर से बाहर जाता था.. आजकल तो रात में 12 बजे..13 बजे तक सबलोग घूमते रहते हैं…लड़का हो या लड़की हो सबके सब घूमते रहते हैं.. पहले कुछ नहीं था.. शाम के बाद कोई बाहर जाता नहीं था… पहले बहुत कम बच्चा सब पढता था.. लड़कियां पहले कहां दिखती थीं लेकिन हमलोगों ने उनके लिए बहुत किया… 50 प्रतिशत का आरक्षण दे दिया।
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इस दौरान सीएम ने कहा कि पहले बड़ी परेशानी होती थी। चलने तक के रोड और रास्ते नहीं थे। उन्होंने कहा कि जब हमलोग केंद्र में थे और बिहार आते थे अपने एरिया में जाने के लिए कोई जगह नहीं था.. लेकिन हम तो जइबे करते थे.. पैदल ही घूमते चलते थे.. लेकिन आज कितना सब जगह हमलोग बनवा दिए हैं.. केंद्र का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है.. पहले वो लोग कोई काम करते थे?
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि मैं हृदय से आभारी हूं कि राष्ट्रपति महोदया पीएमसीएच के100 वें साल पर आयोजित समारोह में शिरकत कर रही हैं। पीएमसीएच 25 फरवरी 1925 को बना था। तब देश में बहुत कम मेडिकल कॉलेज थे। पीएमसीएच का खास तौर पर महत्व था। हम लोग तो बचपन से ही देख रहे हैं। जब हम पटना में पढ़ते थे तो देखते ही थे। सिर्फ बिहार के ही नहीं दूसरे प्रदेश के स्टूडेंट यहां आते थे। पीएमसीएच की बहुत खासियत थी। आप लोग तो जानते हैं। हम लोगों को 2005 में काम करने का मौका मिला। उस समय से हम लोग काम कर रहे हैं। तब बिहार में सिर्फ 6 मेडिकल कॉलेज थे। अभी कुल 12 मेडिकल कॉलेज बन गए हैं, 14 पर काम हो रहा है। अब हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनवाएंगे। केंद्र सरकार ने भी आठ जगह मेडिकल कॉलेज दिया है। पीएमसीएच 5000 बेड का होगा, पीएमसीएच को हमने सबसे बड़ा अस्पताल बनाने का निर्णय लिया है।