बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और इसी कड़ी में पटना के बापू सभागार में गुरुवार को एक ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित हुआ। “अल्पसंख्यक संवाद” नामक इस आयोजन का मकसद बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड की स्थापना के 100 साल पूरे होने का जश्न मनाना था। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे और करीब 15,000 लोगों की मौजूदगी में राज्य सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों को रेखांकित किया।
Madarsa Board के शताब्दी समारोह में बोले Nitish Kumar.. मुसलमानों के लिए लगातार किए जा रहे काम
सीएम नीतीश ने कहा कि यह राज्य के लिए गौरव की बात है कि मदरसा बोर्ड अपनी 100वीं वर्षगांठ मना रहा है। उन्होंने अपने संबोधन में अल्पसंख्यक समाज के लिए चलाई गई योजनाओं का विस्तार से जिक्र किया। नीतीश कुमार ने दावा किया कि 2005 से पहले मुस्लिम समुदाय के लिए कोई ठोस काम नहीं हुआ था, लेकिन उनकी सरकार ने कब्रिस्तान की घेराबंदी, मदरसा शिक्षकों को बेहतर वेतन और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने जैसे कई कदम उठाए। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का बजट अब 3.54 करोड़ से बढ़कर 1080 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।

स्वागत के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने अपनी मुस्लिम वाली टोपी मंत्री जमा खान को पहना दी। इस दौरान एक और बात हुई। कार्यक्रम में CM नीतीश कुमार के सामने गुरुवार को जमकर हंगामा हुआ। मुख्यमंत्री के संबोधन के दौरान अचानक हंगामा शुरू हो गया। मदरसा शिक्षक सरकार से नाराज़ दिखे क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि नीतीश कुमार लंबित वादों पर कोई ठोस घोषणा करेंगे। आक्रोशित शिक्षकों ने पर्चे लहराते हुए कहा कि 2011 में सीएम ने 2459 प्लस वन मदरसों को तनख्वाह देने का वादा किया था, लेकिन अब भी 1659 मदरसे उपेक्षा का शिकार हैं। आरोप लगाया गया कि वर्षों से शिक्षक भुखमरी झेल रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी समस्याओं पर ठोस पहल नहीं कर रही।
जैसे ही भाषण खत्म हुआ, नाराज़ शिक्षकों ने विरोध जताना शुरू कर दिया और मुख्यमंत्री से सीधे संवाद की मांग की। इस पर नीतीश कुमार ने उन्हें ज्ञापन लेने का आश्वासन दिया और कहा कि “जो भी समस्या होगी, उसका समाधान किया जाएगा।” समारोह में जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, मंत्री विजय चौधरी समेत कई बड़े नेता मौजूद थे। मुस्लिम टोपी पहनकर पहुंचे सीएम नीतीश ने राज्य में अल्पसंख्यक समाज की तरक्की को अपनी सरकार की प्राथमिकता बताया। उन्होंने याद दिलाया कि भागलपुर दंगे के पीड़ितों को उनकी सरकार ने मुआवजा दिया था और आज कानून-व्यवस्था बेहतर स्थिति में है।






















