बिहार की राजधानी पटना में पुलिस व्यवस्था और कल्याण से जुड़ा एक बड़ा कदम रविवार को देखने को मिला, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने नवीन पुलिस केन्द्र, पटना परिसर में केन्द्रीकृत रसोई-सह-भोजनालय और 700 क्षमता वाले आधुनिक पुरुष सिपाही बैरक का उद्घाटन किया। यह उद्घाटन केवल भवन निर्माण का नहीं, बल्कि पुलिस बल की कार्यक्षमता, जीवन-स्तर और सामाजिक समावेशन को एक साथ जोड़ने वाली पहल के रूप में देखा जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने उद्घाटन के दौरान कहा कि पटना पुलिस लाइन में रहने वाले हजारों पुलिसकर्मियों को अब तक राशन, भोजन और समय प्रबंधन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता था। ड्यूटी के साथ भोजन की व्यवस्था करना एक अतिरिक्त बोझ बन गया था, जिसका सीधा असर उनकी कार्यक्षमता पर पड़ता था। इसी समस्या के समाधान के तौर पर पुलिस लाइन में ‘जीविका दीदी की रसोई’ की शुरुआत की गई है। इस केन्द्रीकृत रसोई से लगभग तीन हजार पुलिसकर्मियों को सस्ती दर पर पौष्टिक भोजन उपलब्ध होगा, जिससे समय और श्रम दोनों की बचत होगी और वे अपनी जिम्मेदारियों को और बेहतर तरीके से निभा सकेंगे।

यह पहल केवल पुलिसकर्मियों के लिए ही नहीं, बल्कि ग्रामीण और शहरी गरीब महिलाओं के लिए भी आजीविका का मजबूत माध्यम बनकर उभर रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस रसोई के संचालन से करीब 120 जीविका दीदियों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। यह मॉडल बिहार सरकार की उस नीति को भी रेखांकित करता है, जिसमें महिला सशक्तिकरण और रोजगार सृजन को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा गया है।

उद्घाटन के बाद मुख्यमंत्री ने पटना पुलिस लाइन के विस्तार से जुड़े फेज-2 की प्रस्तावित योजनाओं के मॉडल का अवलोकन किया। अधिकारियों ने उन्हें बताया कि लगभग 266 करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित इस फेज में नए आवासीय और आधारभूत ढांचे का निर्माण किया जाएगा। इसमें सार्जेंट मेजर आवास, कई नए पुरुष और महिला सिपाही बैरक, यूएस और एलएस क्वार्टर, सेवक क्वार्टर, विद्यालय भवन, सीवर लाइन, ट्यूब्यूलर फायरिंग रेंज और ऑडिटोरियम जैसी सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिया कि फेज-2 के अंतर्गत प्रस्तावित सभी योजनाओं को तय समयसीमा में पूरा किया जाए, ताकि पुलिस बल को आधुनिक और समग्र सुविधाएं मिल सकें।

फेज-1 के अंतर्गत प्रशासनिक भवन, महिला पुलिस बैरक, पुरुष सिपाही बैरक और केन्द्रीकृत रसोई-सह-भोजनालय का निर्माण पहले ही पूरा हो चुका है, जिसका उद्घाटन आज किया गया। निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री स्वयं केन्द्रीकृत रसोई भवन के प्रथम तल पर पहुंचे और जीविका दीदियों से बातचीत कर उनके अनुभव और कार्यप्रणाली की जानकारी ली। उन्होंने भोजन की गुणवत्ता, स्वच्छता और संचालन व्यवस्था की सराहना की।
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गौरतलब है कि ‘दीदी की रसोई’ की शुरुआत वर्ष 2018 में वैशाली जिले के सदर अस्पताल, हाजीपुर से हुई थी। समय के साथ यह योजना राज्यभर में एक सफल मॉडल के रूप में स्थापित हुई। मुख्यमंत्री के निर्देश पर इसका नाम ‘जीविका दीदी की रसोई’ रखा गया और आज यह योजना सदर व अनुमंडल अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों, कल्याण आवासीय विद्यालयों, वृद्धाश्रमों, प्रशासनिक कार्यालयों, बिहार पुलिस अकादमी, राजगीर सहित सभी पुलिस प्रशिक्षण केन्द्रों तक फैल चुकी है। वर्तमान में राज्य में 334 से अधिक ‘जीविका दीदी की रसोई’ संचालित हो रही हैं, जिनसे चार हजार से ज्यादा महिलाओं को प्रत्यक्ष रोजगार मिल रहा है, जबकि राशन, सब्जी और फल आपूर्ति से जुड़ी स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को अप्रत्यक्ष रोजगार भी प्राप्त हो रहा है।
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कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री सह गृह मंत्री सम्राट चौधरी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार चौधरी, पुलिस महानिदेशक विनय कुमार सहित कई वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी उपस्थित थे। यह आयोजन स्पष्ट संकेत देता है कि बिहार सरकार पुलिस कल्याण, बुनियादी ढांचे के विस्तार और महिला सशक्तिकरण को एक साथ आगे बढ़ाने की रणनीति पर लगातार काम कर रही है।






















