बिहार में दो विधानसभा में उपचुनाव होने जा रहा है। दोनों सीटों, गोपालगंज और मोकामा, पर एक ही दिन 3 नवंबर को वोटिंग होनी है। 2020 में हुए चुनाव में एक सीट भाजपा के पास थी और एक राजद के पास। लेकिन 2022 में हो रहे उपचुनाव और तब के हालात में बड़ा परिवर्तन भाजपा के सत्ता से बेदखल होने की है। इन दोनों सीटों का ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो राजनीतिक हलकों में सत्ता पक्ष के लिए मोकामा में जीत के चांसेज अधिक हैं। इसके बावजूद सीएम नीतीश मोकामा ही जा रहे हैं। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी मोकामा जा रहे हैं। दोनों सीटों पर उम्मीदवार राजद के ही हैं। लेकिन गोपालगंज को लेकर जदयू खास उत्साहित नहीं है। इस कारण बिहार की राजनीति में अलग ही चर्चा शुरू हो रही है।
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नीतीश जाएंगे मोकामा
मोकामा में सीएम नीतीश कुमार के चुनाव प्रचार का शेड्यूल तय हो गया है। 27 अक्टूबर को सीएम नीतीश मोकामा जाएंगे। वहां जनसभा करेंगे। रोड शो भी करेंगे। लेकिन गोपालगंज आने का सीएम नीतीश ने अभी तक कोई योजना नहीं बनाई है। अगर परसेप्शन लेवल की बात करें तो मोकामा में लड़ाई सत्ता पक्ष के लिए गोपालगंज से अधिक आसान है। इसके बावजूद जदयू का फोकस मोकामा ही क्यों है, ये बड़ा सवाल है। तो क्या जीतते हुए सीट पर ही प्रचार कर सीएम नीतीश गोपालगंज की अपेक्षाकृत कमजोर लड़ाई में अपना नाम खराब नहीं करना चाहते?
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तेजस्वी के लिए छुपा है मैसेज?
दरअसल, मोकामा की सीट पिछले चार चुनावों में अनंत सिंह के आसपास रही है। अनंत सिंह इस सीट पर जदयू, निर्दलीय और राजद से चुनाव लड़ चुके हैं और हर बार जीते हैं। इस बार भी उनकी पत्नी नीलम देवी प्रत्याशी हैं। जबकि गोपालगंज में पिछले चार पूरी तरह भाजपा का कब्जा रहा है। हर बार जीत भाजपा के सुभाष सिंह की हुई है। और इस बार सुभाष सिंह के निधन के बाद हो रहे इस उपचुनाव में प्रत्याशी उनकी पत्नी कुसुम देवी उम्मीदवार हैं। जाहिर तौर पर इस सीट पर सत्ता पक्ष को अधिक मेहनत करनी होगी। लेकिन सीएम नीतीश या जदयू की ओर से अभी तक खासी दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है। अब चर्चा यह भी होने लगी है कि सीएम नीतीश गोपालगंज न जाकर अपनी साख बचाने की कोशिश कर रहे हैं। ताकि चुनाव नतीजों में उंच-नीच होने पर सीधा ब्लेम सीएम नीतीश पर न आए।