रविवार की सुबह जब पूरा पटना नींद से उठ ही रहा था, तब बिहार की राजनीति में एक ‘अलसुबह धमाका’ हो चुका था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिना किसी पूर्व घोषणा के अचानक केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के पटना स्थित आवास पर पहुंच गए। उनके साथ भारी-भरकम काफिला और चेहरे पर गहरी गंभीरता—यह दृश्य सियासी हलकों में हलचल मचाने के लिए काफी था।
यह मुलाकात न सिर्फ अचानक थी, बल्कि उस समय हुई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार दौरा बस कुछ ही दिन दूर है। 24 अप्रैल को मधुबनी में होने वाले पंचायती राज दिवस समारोह के मद्देनज़र पीएम मोदी के आगमन को लेकर राज्य में व्यापक तैयारियाँ चल रही हैं, और अब नीतीश-ललन मुलाकात ने इस दौरे को लेकर नई सियासी चर्चाओं को जन्म दे दिया है।
पीएम दौरे से पहले ‘सियासी सिंक्रोनाइजेशन’?
माना जा रहा है कि नीतीश कुमार और ललन सिंह के बीच यह बैठक सिर्फ शिष्टाचार भेंट नहीं थी, बल्कि रणनीतिक बातचीत का हिस्सा थी। चूंकि ललन सिंह पंचायती राज, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी जैसे महत्वपूर्ण विभागों के केंद्रीय मंत्री हैं और कार्यक्रम का सीधा संबंध उनके मंत्रालय से है, ऐसे में प्रधानमंत्री के इस दौरे की सफलता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी उन्हीं पर है।
नीतीश कुमार, जो हाल के महीनों में अपने बदले-बदले सियासी रवैये के लिए चर्चा में रहे हैं, अब भाजपा के साथ दोबारा गठजोड़ कर चुके हैं। ऐसे में पीएम मोदी की बिहार रैली को न सिर्फ भीड़ से भरा मंच देना, बल्कि एनडीए की एकता और ताकत को प्रदर्शित करना भी ज़रूरी है — यही इस ‘गोपनीय बैठक’ का उद्देश्य माना जा रहा है।
ललन सिंह की ‘रणनीति की रेखाएं’
ललन सिंह खुद इस रैली को ऐतिहासिक बनाने के लिए जी-जान से जुटे हैं। मधुबनी ही नहीं, वे आसपास के लगभग 10 जिलों में लगातार सक्रिय हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंपर्क, पंचायत स्तर तक तैयारी और स्थानीय नेताओं के साथ बैठकें — वे कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।
बिहार को मिलेगा ‘रेल–उपहारों’ का गुलदस्ता
इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार को कई बड़ी सौगातें देने वाले हैं। इनमें रेलवे की नई परियोजनाएं प्रमुख हैं। सहरसा से सुपौल, पिपरा होते हुए एक नई एक्सप्रेस ट्रेन की शुरुआत, सहरसा से मुंबई के बीच ‘अमृत भारत एक्सप्रेस’, और बिहार को मिलने वाली पहली ‘नमो भारत रैपिड रेल’ — जो जयनगर से पटना के बीच दौड़ेगी — ये सब बिहारवासियों के लिए आने वाले समय में परिवहन क्रांति की शुरुआत कही जा रही हैं।
क्या यह 2025 चुनावों का शंखनाद है?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी का यह दौरा केवल एक सरकारी समारोह नहीं, बल्कि 2025 विधानसभा चुनावों का ‘आधिकारिक शंखनाद’ है। मधुबनी की रैली में भारी भीड़ और एनडीए के सभी शीर्ष नेताओं की मौजूदगी से एक मजबूत राजनीतिक संदेश देना भी लक्ष्य है।
नीतीश कुमार का ललन सिंह के घर जाना इस पूरे घटनाक्रम को और भी दिलचस्प बनाता है। क्या यह सिर्फ कार्यक्रम की रणनीति थी या इसके पीछे कोई और ‘राजनीतिक प्लॉट’? इसका जवाब समय के पास है, लेकिन इतना तय है कि बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्म हो चुकी है।