पटना की राजनीति एक बार फिर तीखे बयानों की गर्माहट से भरी हुई है। राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी द्वारा तेजस्वी यादव (Shivanand vs Tejashwi) की राजनीतिक समझ पर उठाए गए सवाल अब बड़ा विवाद बनते दिख रहे हैं। शिवानंद तिवारी ने कहा था कि तेजस्वी यादव की आंखों पर पट्टी बांध दी गई है और वह वास्तविक परिस्थितियों को समझने में असमर्थ हैं। इस टिप्पणी ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी, जिस पर अब केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने भी अपनी तीखी प्रतिक्रिया दर्ज कराई है।
नित्यानंद राय ने आज पटना में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि तेजस्वी यादव “कब जमीन से जुड़े थे, जो आज आंख खुलने की बात हो।” उन्होंने दावा किया कि तेजस्वी का पूरा जीवन आराम और विशेष सुविधाओं में बीता है, जबकि बिहार की राजनीति को समझने के लिए मिट्टी की खुशबू और संघर्षों का अनुभव जरूरी होता है। राय के अनुसार, तेजस्वी के पास न तो वह जीवन-परिचय है और न ही वह संवेदना, जो एक नेता को जनता की नब्ज समझने में सक्षम बनाती है।
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केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने शिवानंद तिवारी की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि जब उनके अपने ही नेता कह रहे हैं कि उनकी आंखों पर पट्टी बंधी है, तो इसका सीधा मतलब यही है कि उनमें विवेक और दूरदृष्टि दोनों की कमी है। उन्होंने तेजस्वी को भीतर से और बाहर से खोखला नेता” बताते हुए दावा किया कि उनमें न स्पष्ट लक्ष्य है, न राजनीतिक अनुभव और न ही सुधारवादी दृष्टिकोण।
नित्यानंद राय ने यह भी आरोप लगाया कि तेजस्वी यादव की राजनीति परिवारवाद और तुष्टिकरण पर आधारित है। उनके मुताबिक, तेजस्वी ने बचपन से ही ऐसे माहौल में परवरिश पाई है, जहां राजनीति का उद्देश्य जनसेवा नहीं, बल्कि परिवार के हित और आर्थिक संपन्नता से जुड़ा रहा है। नित्यानंद राय ने कहा कि “तेजस्वी की राजनीति जनता की आकांक्षाओं से नहीं, बल्कि अपने परिवार के राजनीतिक विस्तार से निर्देशित होती है।






















