बिहार की राजनीति में विधानसभा चुनाव से पहले जबरदस्त उथल-पुथल देखने को मिल रही है। सियासी गहमागहमी के बीच प्रशांत किशोर (PK) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर करारा प्रहार किया है। रविवार को मुजफ्फरपुर में जन सुराज अभियान के दौरान पीके ने ना सिर्फ नीतीश कुमार की नेतृत्व शैली पर सवाल उठाए, बल्कि यह तक दावा कर दिया कि 2015 में उन्हीं के सुझाव पर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया था और नीतीश कुमार ने दोबारा सत्ता संभाली थी।
जब नीतीश कुमार ने छोड़ी थी कुर्सी, फिर लौटे सत्ता में
प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के राजनीतिक सफर का एक अनसुना अध्याय उजागर किया। उन्होंने बताया कि 2014 लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद जब नीतीश कुमार ने खुद को असफल मानते हुए मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया और जीतन राम मांझी को बिहार की कमान सौंप दी, तब वे खुद (प्रशांत किशोर) उनकी वापसी के सूत्रधार बने।
PK के अनुसार, “नीतीश कुमार नवंबर 2014 में दिल्ली आए थे। उन्होंने मुझसे मुलाकात की, क्योंकि किसी ने उन्हें बताया था कि नरेंद्र मोदी का चुनावी अभियान संभालने वाला लड़का बिहार का ही है।” जब उन्होंने नीतीश कुमार से पूछा कि जनता ने लोकसभा चुनाव में जेडीयू को नकारा है, विधानसभा का जनादेश तो उनके पास था, फिर उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया? इस पर नीतीश कुमार ने कहा था कि अगर जनता ने वोट नहीं दिया, तो पद पर बने रहना ठीक नहीं।
‘मेरे कहने पर नीतीश ने मांझी को हटाया’
प्रशांत किशोर ने दावा किया कि उन्होंने ही नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद फिर से संभालने की सलाह दी थी। “मैंने नीतीश कुमार से कहा कि वे वापस मुख्यमंत्री पद ग्रहण करें और चुनाव की तैयारी करें। मैंने मदद का भरोसा दिया। इसके बाद उन्होंने जीतन राम मांझी को हटाया, जनता से माफी मांगी, फिर मुख्यमंत्री बने और चुनाव में जीत हासिल की।”
‘आज लालू के जंगलराज से भी बुरा हाल’
हालांकि, प्रशांत किशोर ने आज के नीतीश कुमार और 2014-15 के नीतीश कुमार में जमीन-आसमान का अंतर बताया। उन्होंने कहा कि एक समय नीतीश कुमार की छवि सुशासन बाबू की थी, लेकिन अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि “लोग आज की सरकार को लालू के जंगलराज से भी बदतर मान रहे हैं। पहले अपराधियों का राज था, अब अधिकारियों का जंगलराज है।”
‘नीतीश कुमार की सियासी नैतिकता खत्म हो चुकी’
प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार की राजनीतिक नैतिकता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि “जब रेल मंत्री रहते हुए नीतीश कुमार ने एक दुर्घटना के बाद नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था, वही नीतीश कोविड संकट के दौरान हजारों मौतों के बावजूद घर से बाहर नहीं निकले।”
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि “2020 के चुनाव में जनता ने नीतीश कुमार को पूरी तरह नकार दिया। 243 विधानसभा सीटों में से उनकी पार्टी को महज 42 सीटें मिलीं। लेकिन फिर भी सत्ता से चिपके रहने के लिए उन्होंने एक के बाद एक गठबंधन बदलते रहे। उनकी प्राथमिकता बिहार नहीं, बल्कि सिर्फ अपनी कुर्सी है।”