केंद्र सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाया है। जिसकी शुरुआत आज यानि 18 सितंबर से हुई। खास बात ये है कि इस सत्र की शुरुआत तो पुराने संसद भवन में हुई। लेकिन 19 सितंबर से संसद का कामकाज नए संसद भवन में हो जाएगा। मतलब आज पुराने संसद भवन में कामकाज का आखिरी दिन है । इस मौके पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में 75 सालों के संसदीय इतिहास को याद किया। इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के तारीफों के पुल बांधे। साथ ही अपनी सरकार की भी उपलब्धियों को गिनवाया।
पूर्व प्रधानमंत्रियों की तारीफ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की उपलब्धियों का जिक्र किया। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी से लेकर अटल बिहारी बाजपेयी, मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल की उपलब्धियों को गिनाया। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि देश के तीन प्रधानमंत्री (पंडित जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शस्त्री और इंदिरा गांधी) ऐसे रहे जो अपने कार्यकाल के दौरान दिवंगत हुए। इस सदन ने भी नाम आँखों से उनको विदाई दी। पूर्व प्रधानमंत्रियों की उपलब्धियां गिनाने के दौरान उन्होंने इमरजेंसी का जिक्र करते हुए इसे लोकतंत्र के लिए गलत बताया।
75 वर्षों की संसदीय यात्रा का जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश की 75 वर्षों की संसदीय यात्रा इसका एक बार पुनः स्मरण करने के लिए और नए सदन में जाने से पहले उन प्रेरक पलों को, इतिहास की महत्वपूर्ण घड़ी को स्मरण करते हुए आगे बढ़ने का यह अवसर है। हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं। आज़ादी के पहले यह सदन इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल का स्थान हुआ करता था। आज़ादी के बाद इसे संसद भवन के रूप में पहचान मिली। यह सही है कि इस इमारत(पुराने संसद भवन) के निर्माण करने का निर्णय विदेश शासकों का था लेकिन यह बात हम न कभी भूल सकते हैं और हम गर्व से कह सकते हैं। इस भवन के निर्माण में पसीना मेरे देशवासियों का लगा था, परिश्रम मेरे देशवासियों का लगा था और पैसे भी मेरे देश के लोगों के थे।
“पुराना संसद भवन प्रेरणा देता रहेगा“
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस 75 वर्ष की हमारी यात्रा ने अनेक लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का उत्तम से उत्तम सृजन किया है और इस सदन में रहे प्रत्येक व्यक्ति ने सक्रियता से योगदान भी दिया है और साक्षी भाव से उसे देखा भी है। हम भले नए भवन में जाएंगे लेकिन पुराना भवन यानि यह भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।
G-20 का जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज आपने एक स्वर से G-20 की सफलता की सराहना की है। मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं। G-20 की सफलता देश के 140 करोड़ नागरिकों की सफलता है। यह भारत की सफलता है, किसी व्यक्ति या पार्टी की नहीं, यह हम सभी के लिए जश्न मनाने का विषय है।
पुराने संसद से लगाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं पहली बार जब संसद का सदस्य बना और पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में जब मैंने प्रवेश किया तो सहज रूप से इस सदन के द्वार पर अपना शीश झुकाकर अपना पहला क़दम रखा था, वह पल मेरे लिए भावनाओं से भरा हुआ था। मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर रहने वाला एक गरीब परिवार का बच्चा कभी संसद में प्रवेश कर पाएगा। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे लोगों से इतना प्यार मिलेगा। इस सदन से विदाई लेना एक बेहद भावुक पल है, परिवार भी अगर पुराना घर छोड़कर नए घर जाता है तो बहुत सारी यादें उसे कुछ पल के लिए झकझोर देती है और हम यह सदन को छोड़कर जा रहे हैं तो हमारा मन मस्तिष्क भी उन भावनाओं से भरा हुआ है और अनेक यादों से भरा हुआ है। उत्सव-उमंग, खट्टे-मीठे पल, नोक-झोंक इन यादों के साथ जुड़ा है।
संसद पे हमला का जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इसी भवन में दो साल 11 महीने तक संविधान सभा की बैठकें हुईं और देश के लिए एक मार्ग दर्शक जो आज भी हमें चलाते हैं उन्होंने हमें संविधान दिया। हमारा संविधान लागू हुआ, इन 75 वर्षों में सबसे बड़ी उपलब्धि देश के सामान्य मानवीय का इस संसद पर विश्वास बढ़ना रहा है।जब आतंकी(संसद भवन पर) हमला हुआ यह आतंकी हमला किसी इमारत पर नहीं बल्कि एक प्रकार से लोकतंत्र की जननी, हमारी जीवित आत्मा पर हमला था। उस घटना को देश कभी नहीं भूल सकता। मैं उन लोगों को भी नमन करता हूं जिन्होंने आतंकवादियों से लड़ते हुए संसद और उसके सभी सदस्यों की रक्षा के लिए अपने सीने पर गोलियां खाईं।
अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनवाया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वर्तमान सांसदों के लिए यह विशेष सौभाग्य का विषय है और वह इसलिए क्योंकि हमें इतिहास और भविष्य दोनों की कड़ी का हिस्सा होने का अवसर मिला है। हम नए संसद में जाएंगे तो एक नए विश्वास के साथ जाएंगे। मैं सभी सदस्यों व अन्य के द्वारा दिए गए अपने योगदान के लिए धन्यवाद करता हूं। अनेक ऐतिहासिक निर्णय और दशकों से लंबित विषय का स्थाई समाधान भी इसी सदन में हुआ। अनुच्छेद 370 भी इसी सदन में हुआ। वन रैंक वन पेंशन, वन नेशन वन टैक्स, GST का निर्णय, गरीबों के लिए 10% आरक्षण भी इसी सदन में हुआ।




















