नई दिल्ली : भारत सरकार द्वारा नक्सलवाद के खिलाफ छेड़े गए अब तक के सबसे बड़े अभियान, ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’, में सुरक्षा बलों ने 21 दिनों में 31 माओवादियों को मार गिराया है। यह अभियान छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित कर्रगुट्टालु पहाड़ियों में 21 अप्रैल से 11 मई 2025 तक चला। इस अभियान को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), स्पेशल टास्क फोर्स (STF), और जिला रिजर्व गार्ड (DRG) की संयुक्त टीमों ने अंजाम दिया।
प्रमुख उपलब्धियाँ :
- 31 माओवादियों का सफाया, जिनमें शीर्ष कमांडर और तकनीकी विभाग के सदस्य शामिल थे।
- चार भूमिगत हथियार निर्माण इकाइयों का पता लगाकर उन्हें नष्ट किया गया, जिनमें स्नाइपर राइफल निर्माण के मैनुअल भी मिले।
- दो टन से अधिक विस्फोटक सामग्री, 450 से अधिक IEDs, और भारी मात्रा में हथियार व गोला-बारूद जब्त किए गए।
- माओवादी संगठन PLGA की बटालियन नंबर 1 की कमान को विघटित किया गया, जिससे उनकी सैन्य क्षमता को गंभीर क्षति पहुँची।
सरकार की प्रतिक्रिया :
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस अभियान को “लाल आतंक से तिरंगे तक” की यात्रा का प्रतीक बताया और इसे नक्सलवाद के खिलाफ एक ऐतिहासिक सफलता करार दिया। उन्होंने कहा, “मैं बेहद प्रसन्न हूँ कि इस अभियान में हमारे सुरक्षा बलों को कोई हानि नहीं हुई। पूरा देश आप पर गर्व करता है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस अभियान की सराहना करते हुए कहा कि यह सरकार की नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
स्थानीय विकास की पहल :
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साई ने बस्तर के उसूर तहसील के गालगम गाँव का दौरा किया और सुरक्षा बलों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह अभियान नक्सल-मुक्त छत्तीसगढ़ की दिशा में एक बड़ा कदम है।
‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ ने नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है। यह अभियान न केवल सैन्य दृष्टिकोण से सफल रहा, बल्कि इससे प्रभावित क्षेत्रों में विकास और शांति की नई उम्मीदें भी जगी हैं।