नई दिल्ली: भारतीय सेना ने एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया। इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए। दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नल सोफिया कुरैशी ने मीडिया को संबोधित करते हुए इस ऑपरेशन की विस्तृत जानकारी दी।
कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने 7 मई 2025 को पाकिस्तान और PoJK में 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इनमें कोटली, बहावलपुर, मुजफ्फराबाद, बाग और मुरिदके जैसे इलाके शामिल थे। इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद की कमर तोड़ना था, जो 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक भीषण आतंकी हमले का जवाब था। उस हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी और कई परिवार तबाह हो गए थे।
कर्नल सोफिया कुरैशी: एक प्रेरणादायक नेतृत्व
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना में एक प्रेरणादायक नाम हैं। वह पहली महिला अधिकारी हैं, जिन्होंने किसी सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व किया। 1999 में सेना में कमीशन प्राप्त करने वाली कर्नल कुरैशी ने आतंकवाद विरोधी अभियानों में लंबा अनुभव हासिल किया है। उन्होंने 2001-2002 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान अपनी बहादुरी के लिए सेना प्रमुख की प्रशस्ति भी प्राप्त की थी। इसके अलावा, वह 2010 से संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों (PKOs) से जुड़ी रही हैं और 2006 में कांगो में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और क्षेत्रीय तनाव
पाकिस्तान की ओर से इस हमले की कड़ी निंदा की गई है। आजाद जम्मू-कश्मीर (AJK) के प्रधानमंत्री चौधरी अनवारुल हक ने इसे “कायरतापूर्ण” कार्रवाई करार दिया और कहा कि भारत ने रात के अंधेरे में कोटली और मुजफ्फराबाद में हमले किए। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने भी पुष्टि की कि भारत ने छह स्थानों पर हवाई हमले किए। पाकिस्तानी सूत्रों ने दावा किया कि जवाबी कार्रवाई में उन्होंने पांच भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया।
बताते चलें कि इस ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पर भारतीयों मे विशेष उत्साह व हलचल है। सोशल मिडिया प्लेटफार्म X पर कई यूजर्स ने भारतीय सेना को सलाम करते हुए इसे “इतिहास का पुनर्लेखन” बताया। एक यूजर ने लिखा, “ये सिर्फ हमला नहीं, राष्ट्र के वीरत्व का प्रतीक है। जय हिंद!” एक अन्य ने कहा, “सेना प्रचार नहीं, पराक्रम करती है।”
ऑपरेशन सिंदूर को भारतीय सेना की ऐतिहासिक कार्रवाइयों की कड़ी में देखा जा रहा है, जिसमें 1971 का युद्ध, 1984 का ऑपरेशन मेघदूत और 1965 की लड़ाई शामिल हैं। यह ऑपरेशन न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत इरादों को प्रदर्शित किया है, बल्कि सेना में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को भी रेखांकित करता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद क्षेत्र में तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्ते इस कार्रवाई के बाद और जटिल हो सकते हैं। भारतीय सेना ने कहा है कि वह स्थिति पर नजर रखे हुए है और किसी भी जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय समुदाय से संयम बरतने की अपील की जा रही है ताकि हालात को और बिगड़ने से रोका जा सके
भारतीय सेना के इस पराक्रमी कदम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि देश की सुरक्षा और अस्मिता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। कर्नल सोफिया कुरैशी जैसे साहसी अधिकारियों के नेतृत्व में सेना ने न केवल आतंकवाद को करारा जवाब दिया, बल्कि विश्व पटल पर भारत की ताकत को भी प्रदर्शित किया।