पटना: अंगदान से बढ़कर कोई महादान नहीं हो सकता—यह प्रेरणादायक संदेश भारत विकास विकलांग न्यास द्वारा आयोजित संगोष्ठी में दिया गया, जो आरकेड बिजनेस कॉलेज में संपन्न हुई। इस आयोजन में सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद, प्रख्यात समाजसेवी पद्मश्री बिमल जैन और अमेरिका में रहने वाले बिहार के समाजसेवी सुनील आनंद सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।
संगोष्ठी के दौरान सुनील आनंद ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए और अंगदान के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि “एक बार अपनी आंखें बंद कर चार कदम चलिए और महसूस कीजिए कि दृष्टिहीन व्यक्ति के लिए जीवन कैसा होता होगा।” इसी प्रकार, उन्होंने उस खुशी को बयां किया, जो एक विकलांग व्यक्ति को कृत्रिम अंग मिलने पर महसूस होती है।
अमेरिका में बेटे की मृत्यु के बाद अंगदान का लिया संकल्प
सुनील आनंद ने बताया कि अमेरिका में उनके बेटे की एक दुर्घटना में मौत हो गई थी। इस दुखद घटना के बाद उन्होंने अपने बेटे के अंगदान का फैसला लिया। इससे दो दृष्टिहीन लोगों को रोशनी मिली और उनके बेटे की हड्डियों एवं त्वचा से 200 से अधिक लोगों को जीवनदान मिला। इस अनुभव ने उन्हें बिहार में विकलांगता उन्मूलन के लिए काम करने की प्रेरणा दी।
उन्होंने पटना में एक अस्पताल के लिए करोड़ों रुपये की भूमि दान की, जहां गरीब और विकलांग लोगों का निःशुल्क इलाज किया जाता है। इस पहल के तहत, भारत विकास विकलांग न्यास की स्थापना हुई, जिसका उद्देश्य अंगदान और समाज सेवा को बढ़ावा देना है।
“अंगदान से बड़ा कोई दान नहीं” – पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद
इस अवसर पर सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने कहा, “अंगदान से बड़ा कोई दूसरा दान नहीं है। यह एकमात्र ऐसा उपहार है, जो किसी जरूरतमंद को नया जीवन दे सकता है।” उन्होंने बताया कि अंग बनाए नहीं जा सकते, लेकिन अंगदान से किसी और का जीवन संवारा जा सकता है।
वहीं, प्रसिद्ध समाजसेवी पद्मश्री बिमल जैन ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से सक्षम है, तो यह ईश्वर का सबसे बड़ा आशीर्वाद है। इसलिए, हमें जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आना चाहिए और अंगदान को प्रोत्साहित करना चाहिए।
“सुनील आनंद जी का जीवन एक प्रेरणा” – डीबी गुप्ता
न्यास के अध्यक्ष श्री डी बी गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि श्री सुनील आनंद का जीवन स्वयं में एक मिसाल है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत दुख से ऊपर उठकर, समाज की सेवा का संकल्प लिया, जो दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने छात्रों को यह संदेश दिया कि हर व्यक्ति को समाज सेवा के इस अभियान में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
कॉलेज के निदेशक और करियर काउंसलर आशीष आदर्श ने कहा कि छात्रों को इस संदेश को अपने घर-परिवार और समाज तक पहुंचाना चाहिए, ताकि अंगदान जैसी महान पहल को निरंतर नई ऊर्जा मिलती रहे।
समाजसेवा की दिशा में एक सार्थक पहल
इस संगोष्ठी में न्यास से जुड़े अमर कसेरा, संजय ड्रोलिया, विनीता मिश्रा, अरुण सत्यमूर्ति, पवन केजरीवाल और कुलभूषण गांधी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंत में यह संकल्प लिया गया कि अंगदान को एक सामाजिक आंदोलन बनाया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लोग इस महान कार्य से जुड़ें। “मरणोपरांत हमारे अंग किसी जरूरतमंद को नया जीवन दे सकते हैं”, यही संदेश इस संगोष्ठी की सबसे बड़ी उपलब्धि रही।