आज, 22 सितंबर को पटना के एग्जिबिशन रोड स्थित डॉ. दिवाकर तेजस्वी क्लिनिक में पब्लिक अवेयरनेस फॉर हेल्थफुल एप्रोच फॉर लिविंग (पहल) द्वारा आयोजित एक निशुल्क डायबिटीज जांच शिविर में सैकड़ों लोग उपस्थित हुए। शिविर का आयोजन शहर में बढ़ते हुए मधुमेह (डायबिटीज) के मामलों को लेकर जागरूकता फैलाने और शुगर को नियंत्रण में रखने के महत्व को रेखांकित करने के उद्देश्य से किया गया था।
इस शिविर में उपस्थित चिकित्सा निदेशक और वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने मधुमेह के मरीजों को शुगर के स्तर को समझने और उसका सही उपचार करने के तरीके के बारे में जानकारी दी। डॉ. तेजस्वी ने विशेष रूप से दो प्रमुख प्रकार की ब्लड शुगर जाँच – ग्लूकोमीटर और लैब टेस्ट – के बीच के अंतर को समझाया।
उन्होंने बताया कि ग्लूकोमीटर से किए गए ब्लड शुगर टेस्ट में खासतौर पर उंगली की नोक से खून लिया जाता है, और इसे सामान्यतः घर पर ही किया जा सकता है। हालांकि, यह टेस्ट अधिकतर समय शुगर के स्तर को थोड़ी अधिक मात्रा में दिखाता है, खासकर भोजन के बाद। इसके विपरीत, लैब टेस्ट, जो कि नस से लिया जाता है, अधिक सटीक और स्टैंडर्ड होता है।
डॉ. तेजस्वी ने कहा, “खाली पेट होने पर ग्लूकोमीटर और लैब टेस्ट में लगभग 2 से 10 mg/dl का छोटा अंतर होता है। लेकिन, यदि आप खाना खाने के बाद शुगर की जाँच करते हैं, तो ग्लूकोमीटर का परिणाम 10 से 30 mg/dl तक अधिक हो सकता है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जबकि ग्लूकोमीटर रोजाना निगरानी के लिए अच्छा होता है, सही और सटीक परिणाम के लिए लैब टेस्ट आवश्यक है। इससे मरीजों को सही रिपोर्ट मिलती है और वे समय पर उचित उपचार ले सकते हैं। डॉ. तेजस्वी ने यह भी बताया कि ग्लूकोमीटर से मिलने वाली रिपोर्ट्स के प्रति लोगों में भ्रम हो सकता है, इसलिये सही जानकारी और सही निर्णय लेना बहुत ज़रूरी है।
मधुमेह की रोकथाम और नियंत्रण के उपाय पर बात करते हुए डॉ. तेजस्वी ने इस शिविर के आयोजन के महत्व को रेखांकित किया और लोगों से अनुरोध किया कि वे अपनी स्वास्थ्य जांच नियमित रूप से कराएं। उन्होंने आगे कहा, “हमारा लक्ष्य सिर्फ डायबिटीज का इलाज नहीं, बल्कि इससे संबंधित जागरूकता फैलाना भी है, ताकि लोग इसे सही समय पर पहचान सकें और उपचार शुरू कर सकें।”
















