नई दिल्ली: भारतीय सेना के “ऑपरेशन सिंदूर” ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए न सिर्फ आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद किया, बल्कि पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था को भी हिलाकर रख दिया। भारत ने 6-7 मई की रात पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत के कई सैन्य ठिकानों और शहरों पर ड्रोन, मिसाइल और फाइटर जेट से हमले किए, लेकिन भारत ने इन हमलों को हवा में ही नाकाम कर दिया।
इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के 11 सैन्य ठिकानों पर दोबारा हमला किया, जिससे पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ। पहले से ही कर्ज में डूबा पाकिस्तान अब रिकॉर्ड तोड़ महंगाई की चपेट में आ गया है। 10 मई के बाद से वहां कीमतों में भारी उछाल देखने को मिला है। आटा 120 रुपये प्रति किलो, दूध 150 रुपये प्रति लीटर, सरसों का तेल 500 रुपये प्रति लीटर और घी 2800 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है। सेब की कीमत 500 रुपये प्रति किलो हो गई है, जबकि एक अंडे की कीमत 30 रुपये तक पहुंच गई है।
जनता सड़कों पर, नेता जश्न में मस्त
पाकिस्तान में महंगाई ने जनता की कमर तोड़ दी है। कई जगहों पर आटा, चीनी, दाल और तेल जैसी जरूरी चीजें खत्म हो गई हैं। झेलम जैसे इलाकों में स्टोर खाली पड़े हैं, और लोग भूख से तड़प रहे हैं। बढ़ती कीमतों को लेकर दुकानदारों और ग्राहकों के बीच झड़प की खबरें भी सामने आ रही हैं। कई जगहों पर मारपीट की घटनाएं दर्ज की गई हैं। बिजली और पानी की भारी किल्लत ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
दूसरी ओर, पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पर आरोप है कि वे हार को छिपाकर झूठी जीत का जश्न मना रहे हैं। मुनीर को हाल ही में फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई है, और वे जलसों में व्यस्त हैं, जबकि जनता भूख और महंगाई से जूझ रही है।
पाकिस्तान में विरोध की कमी क्यों?
हालांकि, बढ़ती महंगाई के बावजूद पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन नहीं हो रहे हैं। पाकिस्तान में लोग महंगाई को समझते हैं, लेकिन सख्त पुलिस कार्रवाई और आर्थिक तंगी के डर से सड़कों पर नहीं उतरते। दूसरी ओर, भारत टुडे की 10 मई की रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर और शहबाज शरीफ के बीच तनाव भी बढ़ रहा है, क्योंकि मुनीर ने ही शरीफ को सत्ता में लाया था, लेकिन हालिया संघर्ष विराम को लेकर दोनों में मतभेद उभरे हैं।
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को बढ़ा दिया है, और पाकिस्तान की जनता अब दोहरी मार झेल रही है—एक तरफ सैन्य हार, दूसरी तरफ आर्थिक संकट।