नई दिल्ली – पाकिस्तान ने अपने रक्षा बजट में 20% की भारी वृद्धि करते हुए वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 2,550 अरब रुपये (लगभग 9 अरब डॉलर) आवंटित किए हैं। यह कदम तब उठाया गया है जब देश पहले से ही गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है और 269 अरब डॉलर के कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। इस बढ़े हुए बजट का बड़ा हिस्सा चीन से 40 अत्याधुनिक J-35A स्टील्थ फाइटर जेट्स की खरीद के लिए प्रस्तावित है, जो अगस्त 2025 से डिलीवरी शुरू होने की संभावना है।
रणनीतिक कदम या आर्थिक जोखिम?
रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्णय मई 2025 में भारत के साथ हुए चार दिवसीय सैन्य टकराव के बाद लिया गया है, जिसमें दोनों देशों ने 10 मई को युद्धविराम पर सहमति जताई थी। J-35A जेट्स, जो अभी ट्रायल चरण में हैं, को भारत के खिलाफ हवाई श्रेष्ठता हासिल करने के लिए खरीदा जा रहा है। चीन ने इस सौदे में पाकिस्तान को 50% तक की छूट और लचीले भुगतान विकल्प दिए हैं, जो दोनों देशों के मजबूत रणनीतिक संबंधों को दर्शाता है।
हालांकि, चीनी सोशल मीडिया पर इस कदम को “वित्तीय और रणनीतिक रूप से लापरवाह” करार दिया जा रहा है, क्योंकि ये जेट अभी चीनी वायु सेना में भी शामिल नहीं हुए हैं।
आर्थिक संकट और बढ़ती गरीबी
वहीं, आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, 2017-18 से 2020-21 के बीच देश में अत्यंत गरीबी 4.9% से बढ़कर 16.5% हो गई है, जबकि भारत में इसी अवधि में गरीबी 27.1% से घटकर 5.3% रह गई।
विशेषज्ञों का मानना है कि रक्षा खर्च पर जोर देने से सामाजिक कल्याण, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के लिए संसाधन कम पड़ सकते हैं। इसके बावजूद, शहबाज शरीफ सरकार ने कुल राष्ट्रीय खर्च को 7% घटाकर 17.57 ट्रिलियन रुपये किया है, जिसमें रक्षा को प्राथमिकता दी गई है।
भारत के साथ तनाव की आशंका
J-35A जेट्स की खरीद से भारत-पाकिस्तान संबंधों में और तनाव बढ़ने की संभावना है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने हाल ही में चीन, खाड़ी देशों और संयुक्त राष्ट्र से संपर्क कर भारत को “आक्रामक” और पाकिस्तान को “स्थिरता लाने वाला” देश बताने की कोशिश की है।
दूसरी ओर, भारत ने मई 2025 के टकराव के बाद अपनी पश्चिमी नौसेना को मजबूत किया है, जिसमें एक विमानवाहक पोत, विध्वंसक और पनडुब्बी रोधी युद्धपोत शामिल हैं।
IMF और कर्ज का दबाव
पाकिस्तान ने IMF से 6-8 अरब डॉलर के राहत पैकेज की मांग की है, जबकि चीन पर 15 अरब डॉलर का कर्ज पहले से लंबित है। विशेषज्ञों का कहना है कि सैन्य खर्च पर जोर देने से देश की अर्थव्यवस्था पर और दबाव पड़ सकता है, खासकर जब 10 मिलियन से अधिक लोग भुखमरी का सामना कर रहे हों।
पाकिस्तान का यह कदम सैन्य शक्ति बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास हो सकता है, लेकिन आर्थिक अस्थिरता और घरेलू चुनौतियों के बीच यह कितना कारगर साबित होगा, यह समय बताएगा। भारत के साथ तनाव के बीच यह कदम क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है।