नई दिल्ली: मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान ने एक बड़ा यू-टर्न लिया है। बीते दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए नोबल पीस प्राइज की मांग करने वाले पाकिस्तान ने अब ईरान के तीन प्रमुख न्यूक्लियर साइट्स—फोर्डो, नतांज और इस्फाहान—पर अमेरिकी हमलों की कड़ी निंदा की है। यह बदलाव तब सामने आया है जब 20 जून 2025 को पाकिस्तान आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने ट्रंप से मुलाकात की थी, जिसमें ट्रंप की शांति प्रयासों की तारीफ करते हुए नोबल प्राइज की सिफारिश की गई थी।
अमेरिकी हमले और ईरान का जवाब
संयुक्त राज्य अमेरिका ने रविवार सुबह ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े इन ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिसका उद्देश्य तेहरान की परमाणु क्षमताओं को कमजोर करना बताया जा रहा है। परमाणु एजेंसी (IAEA) ने पुष्टि की है कि इन हमलों से आसपास के क्षेत्रों में कोई रेडियोधर्मी प्रदूषण नहीं हुआ है, और निवासियों के लिए कोई खतरा नहीं है। हालांकि, ईरान ने जवाबी कार्रवाई के तहत इजरायल के शहरों को मिसाइलों से निशाना बनाना शुरू कर दिया है, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है।
पाकिस्तान का बयान और चिंता
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “ये हमले अंतरराष्ट्रीय कानून के सभी मानदंडों का उल्लंघन करते हैं। ईरान को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत आत्मरक्षा का वैध अधिकार है।” पाकिस्तान ने क्षेत्र में तनाव बढ़ने की आशंका जताई और कूटनीति को शांति का एकमात्र रास्ता करार दिया। साथ ही, उसने सभी पक्षों से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करने की अपील की।
पृष्ठभूमि और रणनीति
विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान का यह रुख उसके जटिल भू-राजनीतिक गणित का नतीजा है। ईरान के साथ 900 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करने वाला पाकिस्तान, अमेरिका और ईरान के बीच तनाव में संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, 1989 में अफगान मुजाहिदीन के विभाजन और पाकिस्तान के तालिबान समर्थन के बाद से ईरान-पाक संबंधों में दरार आई है। इसके बावजूद, ईरान ने हाल के वर्षों में पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम में हस्तक्षेप न करे, जैसा कि 2010 में विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने हार्वर्ड में दिए भाषण में शांतिपूर्ण परमाणु उपयोग की वकालत की थी।
ट्रंप की प्रतिक्रिया
ट्रंप ने हमले की सफलता का दावा करते हुए कहा, “हमने ईरान के तीन न्यूक्लियर साइट्स पर सफल हमला किया है, और हमारे विमान वापस लौट रहे हैं।” हालांकि, उन्होंने फिर से नोबल पीस प्राइज न मिलने पर नाराजगी जताई, जिसमें भारत-पाक और रूस-यूक्रेन संघर्षों में उनकी भूमिका को शामिल किया।
आगे का रास्ता
इस घटनाक्रम से मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में शांति के प्रयासों पर सवाल उठ रहे हैं। ईरानी विदेश मंत्री की मास्को यात्रा और रूस के संभावित हस्तक्षेप की खबरें तनाव को और जटिल कर सकती हैं।