गुना : मध्य प्रदेश के गुना जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां करोद ग्राम पंचायत की सरपंच लक्ष्मी बाई ने अपने निजी कर्ज को चुकाने के लिए अपनी ही पंचायत को गिरवी रख दिया। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और आम लोगों को स्तब्ध कर दिया है, साथ ही पंचायती राज व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जानकारी के अनुसार, लक्ष्मी बाई ने अपने पति द्वारा चुनाव लड़ने और अन्य निजी जरूरतों के लिए लिए गए 20 लाख रुपये के कर्ज को चुकाने के लिए यह अजीबोगरीब कदम उठाया। उन्होंने पंचायत के एक दबंग पंच रणवीर सिंह कुशवाह को पूरी पंचायत का संचालन ठेके पर सौंप दिया। दोनों के बीच एक औपचारिक अनुबंध पत्र तैयार किया गया, जिसमें साफ लिखा गया कि पंचायत की कमाई का 5 प्रतिशत हिस्सा कमीशन के रूप में सरपंच को दिया जाएगा। यह डील साल 2022 में की गई थी, लेकिन हाल ही में यह मामला प्रशासन के संज्ञान में आया।
प्रशासन ने की सख्त कार्रवाई
जैसे ही इस अनुचित समझौते की जानकारी गुना जिला प्रशासन को मिली, तुरंत जांच शुरू की गई। जांच में गड़बड़ी की पुष्टि होने के बाद गुना कैंट थाने में रणवीर सिंह कुशवाह के खिलाफ FIR दर्ज की गई। वहीं, सरपंच लक्ष्मी बाई को 9 मई 2025 को उनके पद से हटा दिया गया। गुना जिला पंचायत के सीईओ अभिषेक दुबे ने बताया कि इस मामले में शामिल सभी लोगों की जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पंचायत की कमाई का 5% कमीशन ले रही थीं सरपंच
अनुबंध के मुताबिक, लक्ष्मी बाई ने पंचायत के संचालन का पूरा जिम्मा रणवीर कुशवाह को सौंप दिया था, और बदले में पंचायत की आय का 5% हिस्सा कमीशन के तौर पर ले रही थीं। बाद में रणवीर ने पंचायत का नियंत्रण किसी तीसरे व्यक्ति को सौंप दिया, जिससे मामला और जटिल हो गया। इस घटना ने न केवल पंचायती राज व्यवस्था में भ्रष्टाचार की जड़ों को उजागर किया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि लोकतांत्रिक संस्थाएं कैसे निजी हितों की भेंट चढ़ रही हैं।
विकास कार्यों को लेकर चिंता, नए सरपंच की नियुक्ति जल्द
जिला प्रशासन ने बताया कि इस घटना के बाद करोद पंचायत में चल रहे विकास कार्यों पर असर न पड़े, इसके लिए जल्द ही एक प्रभारी सरपंच की नियुक्ति की जाएगी। हालांकि, इस मामले ने पूरे मध्य प्रदेश में पंचायत व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि लक्ष्मी बाई ने यह कर्ज 2022 के पंचायत चुनाव में खर्च करने के लिए लिया था, हालांकि FIR में इस बात का उल्लेख नहीं है।
गुना में पहले भी उठे हैं सवाल
यह पहली बार नहीं है जब गुना जिले में प्रशासनिक विफलता और शोषण के मामले सामने आए हैं। हाल ही में जिले में 16 बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया गया था, जिसने क्षेत्र में व्याप्त व्यवस्थागत शोषण को उजागर किया था। अब सरपंच द्वारा पंचायत को गिरवी रखने की घटना ने स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर एक बार फिर सवालिया निशान लगा दिया है।
क्या कहते हैं जानकार?
पंचायती राज विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं ग्रामीण प्रशासन में पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को दर्शाती हैं। उनका मानना है कि पंचायत स्तर पर निगरानी तंत्र को मजबूत करने और जनप्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देने की सख्त जरूरत है, ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
यह घटना न केवल गुना जिले बल्कि पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था की कमजोरियों को सामने लाती है। प्रशासन ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए आगे की जांच शुरू कर दी है, और लोगों की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि इस मामले में दोषियों को सजा कब और कैसे मिलेगी।