संसद का मानसून सत्र अपने अंतिम दिन एक बार फिर हंगामे की भेंट चढ़ गया। बिहार एसआईआर (Bihar SIR) के मुद्दे पर विपक्ष और सरकार के बीच गतिरोध बना रहा, जिसके चलते पूरे सत्र में सार्थक बहस नहीं हो सकी। अदालत में मामला विचाराधीन होने के कारण इस पर संसद में सीधी चर्चा संभव नहीं थी, लेकिन विपक्ष लगातार चर्चा की मांग पर अड़ा रहा। गुरुवार को भी सदन का वातावरण शोर-शराबे और नारेबाजी से गूंजता रहा और आखिरकार लोकसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।
लोकसभा स्पीकर ने सांसदों को लताड़ लगाई और कहा कि सदन में विपक्ष का आचरण लोकतंत्र के मूल्यों के अनुरूप नहीं रहा। ये संसद की गरिमा के अनुसार नहीं है। उन्होंने कहा कि देश की जनता देख रही है कि किस तरह से अहम मुद्दों पर चर्चा को बाधित किया जा रहा है। लोकसभा स्पीकर ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान सिर्फ 37 घंटे ही चर्चा हो सकी। जिसमें लोकसभा में 12 विधेयक पारित हुए और 55 सवालों के ही मौखिक जवाब दिए गए। इसके बाद लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इस दौरान पीएम मोदी भी सदन में मौजूद रहे।
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भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने विपक्ष पर तीखा हमला करते हुए कहा कि गरीबों और किसानों के मुद्दों पर सवाल पूछे जाने बाकी थे, लेकिन विपक्ष ने सत्र को बाधित कर देश की जनता का समय बर्बाद किया। उन्होंने दावा किया कि विपक्ष पहले से ही बिहार चुनाव को लेकर हताश है क्योंकि “गैरकानूनी घुसपैठियों” के वोट अब निर्णायक नहीं रहेंगे। मनोज तिवारी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल विकास की राह में अवरोध खड़ा कर रहे हैं।
वहीं, भाजपा सांसद और अभिनेत्री से नेता बनी कंगना रनौत ने भी विपक्ष की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 120 घंटे की चर्चा का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन विपक्षी हंगामे के कारण लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। कंगना ने कहा कि जनता के सवालों के जवाब देने का अवसर खो गया और अध्यक्ष को भी इस पर कड़ी टिप्पणी करनी पड़ी।
इसके विपरीत समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने सरकार पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष का आचरण गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। उनके मुताबिक 21 जुलाई से शुरू हुए सत्र में कई अहम मुद्दे उठाए गए, जिनमें ‘सिंदूर ऑपरेशन’, संविधान पर हमले और बिहार चुनाव में कथित धांधली शामिल रही। अवधेश प्रसाद ने कहा कि जनता इन मुद्दों पर सरकार की सफाई चाहती थी, लेकिन सरकार ने खुद जवाब देने से बचने के लिए विपक्ष पर दोष मढ़ दिया।






















