पटना के आरकेड बिजनेस कॉलेज का सभागार आज हंसी, तालियों और कविताओं की गूंज से भर उठा। बिहार में चल रहे राजनीतिक माहौल के बीच कॉलेज में आयोजित हास्य कवि सम्मेलन ने छात्रों को राजनीति के व्यंग्य और प्रेम की भावनाओं का अनोखा अनुभव दिया। मंच पर एक से बढ़कर एक कवियों ने न केवल अपनी रचनाओं से सबका दिल जीता, बल्कि श्रोताओं को सोचने पर भी मजबूर कर दिया।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी से आए लोकप्रिय हास्य कवि विकास बौखल ने अपने अनोखे अंदाज में राजनीति और सामाजिक परिवेश पर तीखा लेकिन मनोरंजक व्यंग्य किया। उन्होंने युवाओं की बदलती सोच पर चुटकी लेते हुए कहा कि अगर प्यार को आधार कार्ड से जोड़ दिया जाए, तो बहुत सी परेशानियां खुद-ब-खुद खत्म हो जाएंगी। उनकी पंक्तियां “किसी खंजर से न तलवार से जोड़ा जाए, सारी दुनिया को चलो प्यास से जोड़ा जाए…” पर छात्रों ने खूब तालियां बजाईं।
उन्होंने आगे बढ़ते हुए राजनीति और मीडिया के बीच के रिश्ते पर कटाक्ष किया। अपनी कविता में उन्होंने कहा कि “दिन का सारा गुरुर एक निशा ले गयी, दिल मोड़ वो मीडिया की दिशा ले गयी, योगी-मोदी ने मेहनत करी तो बहुत, कुम्भ को लूट मोनालिसा ले गयी।” इस व्यंग्यात्मक प्रस्तुति ने सभा में मौजूद सभी छात्रों को ठहाकों पर मजबूर कर दिया।
कार्यक्रम में गाजियाबाद की कवयित्री राधिका गुप्ता मित्तल ने प्रेम और श्रृंगार रस से भरी अपनी कविताओं से वातावरण को मधुर बना दिया। उनकी पंक्तियां “उनकी नजरों से जिस दिन उतर जायेंगे, मोतियों की तरह हम बिखर जायेंगे…” ने श्रोताओं को भावुक कर दिया। इसके बाद जब उन्होंने मीरा और श्याम के प्रेम को गाते हुए कहा कि “श्याम तू है मेरा राधिका मैं तेरी, बन के अंखियों में कजरा समा जाऊंगी…” तो पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा।
कॉलेज के निदेशक और करियर काउंसलर आशीष आदर्श ने इस अवसर पर कहा कि ऐसे साहित्यिक आयोजन छात्रों में रचनात्मकता और अभिव्यक्ति की शक्ति को बढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि कविता समाज को जोड़ने का सबसे सुंदर माध्यम है। ऐसे कार्यक्रम छात्रों को न केवल मनोरंजन देते हैं बल्कि उनके व्यक्तित्व विकास में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
कार्यक्रम के अंत में छात्रों ने कवियों का उत्साहपूर्वक सम्मान किया। यह आयोजन राजनीति और हास्य के बीच एक पुल साबित हुआ, जहां व्यंग्य की धार ने हंसी के साथ विचार भी जगाए।
पटना जैसे शैक्षणिक शहर में यह कवि सम्मेलन इस बात का प्रमाण है कि नई पीढ़ी केवल तकनीक तक सीमित नहीं, बल्कि साहित्य और कविता के प्रति भी गहरी संवेदना रखती है।






















