Pawan Khera Attack on Election Commission: कांग्रेस ने एक बार फिर चुनाव आयोग और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर तीखा हमला बोला है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और AICC मीडिया एवं पब्लिसिटी विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने आरोप लगाया है कि बिहार में हुए स्पेशल समरी रिविजन (SIR) के बाद अब 12 राज्यों में इसे लागू करने का फैसला ‘वोट चोरी के खेल’ की नई शुरुआत है।
खेड़ा ने कहा कि “आज चुनाव आयोग ने 12 राज्यों में SIR की घोषणा की है, लेकिन अभी तक बिहार में हुए SIR से जुड़े गंभीर सवालों का कोई जवाब नहीं मिला है। हालात ऐसे थे कि बिहार में SIR की खामियों को सुधारने के लिए सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा। इससे साफ है कि आयोग की नीयत पर सवाल उठना लाजिमी है।”
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उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में SIR के नाम पर करीब 69 लाख वोटर लिस्ट से नाम काटे गए, जिनमें से अधिकांश विपक्षी दलों के समर्थक थे। पवन खेड़ा के मुताबिक, “राहुल गांधी जी के आलंद विधानसभा क्षेत्र में वोट चोरी का जो मामला सामने आया था, उसी की जांच में SIT ने बताया कि वोटर लिस्ट से नाम काटने का एक सेंट्रलाइज्ड ऑपरेशन चल रहा था। अब 12 राज्यों में SIR करवाकर वही साजिश दोहराई जा रही है।”
खेड़ा ने तीखे शब्दों में कहा कि “जब भी SIR होता है, चुनाव आयोग के कर्मचारी घर-घर जाकर नए वोटर जोड़ते हैं और गलत नाम हटाते हैं। लेकिन बिहार में यह प्रक्रिया पूरी तरह पक्षपातपूर्ण थी। यह अब साफ हो गया है कि मोदी सरकार और चुनाव आयोग ने मिलकर लोकतंत्र के खिलाफ साजिश रची है।”
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कांग्रेस का दावा है कि SIR के बहाने देशभर में विपक्षी मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं ताकि आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में BJP को सीधा फायदा मिले। पार्टी का आरोप है कि चुनाव आयोग “वोट चोरी” का औजार बन चुका है और उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो चुके हैं।
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भी चुनाव आयोग से तीखे सवाल पूछे — “जब बिहार में SIR हुआ, तब गृह मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक ‘घुसपैठियों’ की बात कर रहे थे। अब चुनाव आयोग बताए कि उन्होंने कितने घुसपैठियों को हटाया? अगर दावा सही है तो आंकड़े सार्वजनिक क्यों नहीं किए गए?” उन्होंने कहा कि अगर आयोग वास्तव में वोटर लिस्ट को ‘शुद्ध’ कर रहा है तो असम जैसे राज्यों में भी SIR लागू करना चाहिए था, जहां चुनाव नजदीक हैं।
इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि “SIR के नाम पर सिर्फ राजनीतिक सफाई हो रही है, न कि वोटर लिस्ट की। बिहार में कहा गया था कि बांग्लादेशियों को हटाया जाएगा — अब बताइए कितने हटाए गए? गृह मंत्रालय और आयोग के पास इसका कोई जवाब नहीं है।”






















