कुढ़नी उपचुनाव के परिणाम से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा है। जेडीयू प्रत्याशी मनोज कुशवाहा की हार हो गई है। जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव अब किसी भी दावे को करने से पहले एक बार जरुर सोचेंगे। चुनाव से पहले महागठबंधन के नेताओं का दावा था कि कुढ़नी उपचुनाव में महागठबंधन की भारी मतों से जीत होगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पहली बार था जब महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश और तेजस्वी ने एक साथ चुनाव प्रचार किया। इसके बावजूद कुढ़नी में महागठबंधन को सफलता नहीं मिल सकी। विपक्ष चाचा-भतीजे की जोड़ी फेल बताने में लगी हुई है। नीतीश कुढ़नी पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं। वहीं, तेजस्वी डैमेज कंट्रोल करते हुए चुनाव में कमियों को देखने की बात कर रहे हैं।
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नीतीश ने साधी चुप्पी
किसी मशहूर शायर का एक शेर हैं “तू इधर उधर की न बात कर ये बता कि क़ाफ़िला क्यूं लुटा” ये पंक्ति अभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर एकदम फिट बैठ रही है। नीतीश कुमार कुढ़नी में हुई हार पर चुप्पी साध रखी है। उन्होंने ट्वीट कर नीतीश कुमार ने हिमाचल प्रदेश की जीत के लिए कांग्रेस को बधाई दी है। वहीं मैनपुरी के लिए डिंपल यादव और अखिलेश यादव दोनों को बधाई दी है। पर कुढ़नी पर एक भी शब्द नहीं कहा है।
तेजस्वी की प्रतिक्रिया
बीते दिन गुरुवार की रात को तेजस्वी यादव सिंगापुर से वापस पटना लौटते ही कुढ़नी पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “मुझे अभी जानकारी मिली है। ये हार कोई बड़ी हार नहीं है। हम इस बार बहुत कम मार्जिन से पीछे रह गए। गोपालगंज में भी काफी कम मार्जिन से हार मिली थी। हमें देखना पड़ेगा कि कहां कमी रह गई है।”
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कुढ़नी विधानसभा चुनाव में दिए गए बधाइयां और बिहार की राजनीतिक भविष्य को लेकर किए गए प्रहार पर बिहार के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जीतने के बाद लोग बोलते ही हैं। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र के रिजल्ट पर वह बोले हैं। मगर, गोपालगंज और मोकामा के रिजल्ट पर उन्होंने चुप्पी क्यों साध ली थी? उनसे जब ये सवाल किया गया कि जानकारी ऐसी है कि राजद के वजह से ही जेडीयू को इतने वोट मिल सका है। इस सवाल से तेजस्वी पल्ला झाड़ते दिखे।