बिहार की राजनीति में हलचल मचाने वाली ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ पदयात्रा अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। 16 मार्च को चंपारण के भितिहरवा से शुरू हुई इस यात्रा ने पूरे बिहार में राजनीतिक और सामाजिक चर्चाओं को हवा दी है। गुरुवार को यह पदयात्रा पटना में दाखिल हुई, जहां झाऊगंज, हाजीगंज, मारूफगंज, मालसलामी, गौरीदास रोड की मंडी, सिमली और गुरु का बाग से गुजरते हुए आगे बढ़ी।
सड़क से सरकार तक सीधा संदेश
यात्रा की कमान संभाले कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र और नीतीश सरकार पर करारा हमला बोला। उन्होंने बिहार में बढ़ते पलायन, बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और अपराध को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया। कन्हैया ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, “बिहार में 2 लाख शिक्षकों के पद खाली हैं, लेकिन युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही। मजबूरी में लोगों को रोजी-रोटी के लिए दूसरे राज्यों की ओर पलायन करना पड़ रहा है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी यह लड़ाई सिर्फ पदयात्रा तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि आगे भी वे युवाओं और बेरोजगारों की आवाज उठाते रहेंगे।
अंतिम दिन का ‘सियासी’ दंगल
इस पदयात्रा के अंतिम दिन यानी शुक्रवार को कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट भी पटना में कन्हैया के साथ मौजूद रहेंगे। पदयात्रा के समापन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर उन्हें मांग पत्र सौंपा जाएगा। बताया जा रहा है कि अंतिम दिन 5000 से ज्यादा कार्यकर्ता इस आंदोलन में शामिल होंगे, जिससे कांग्रेस अपनी सियासी ताकत का प्रदर्शन करने की तैयारी में है।
राहुल गांधी भी दे चुके हैं समर्थन
इस यात्रा के दौरान कांग्रेस हाईकमान का भी समर्थन देखने को मिला। कुछ दिनों पहले जब राहुल गांधी बिहार दौरे पर आए थे, तब उन्होंने भी इस पदयात्रा में हिस्सा लिया था और कन्हैया के साथ एक किलोमीटर तक पैदल चले थे। इससे साफ संकेत मिलता है कि कांग्रेस बिहार में इस आंदोलन को एक बड़े राजनीतिक संदेश के रूप में देख रही है।