Pirpainti Assembly 2025: बिहार की राजनीति में पीरपैंती विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 154) हमेशा से ही चुनावी रणनीतियों का अहम केंद्र रही है। भागलपुर जिले की यह सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है, लेकिन इस क्षेत्र की राजनीतिक टकराहट हमेशा विभिन्न समुदायों के वोटों पर निर्भर रही है।
चुनावी इतिहास
इतिहास में देखें तो इस सीट पर किसी भी पार्टी का स्थायी कब्जा नहीं रहा। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) ने यहां कुल छह बार जीत दर्ज की, वहीं कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने चार-चार बार इस सीट पर जीत हासिल की। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अब तक एक बार विजय पाई है। पिछले तीन चुनावों में यह मुकाबला मुख्य रूप से RJD और BJP के बीच रहा है, जिससे यह सीट हमेशा चुनावी दृष्टि से महत्वपूर्ण रही है।
2015 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के रामविलास पासवान ने BJP के ललन कुमार को कड़ी टक्कर दी थी। रामविलास को 80,058 वोट मिले, जबकि ललन कुमार 74,914 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। इसके पहले 2010 के चुनाव में अमन कुमार ने जीत दर्ज की थी।
हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव ने इस सीट की राजनीतिक तस्वीर बदल दी। BJP के ललन कुमार पासवान ने RJD के रामविलास पासवान को 27,019 वोटों के बड़े अंतर से हराया। ललन कुमार को कुल 95,811 वोट मिले, जबकि रामविलास पासवान केवल 68,817 वोट ही जुटा पाए। इस जीत ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब इस सीट पर BJP और RJD के बीच की टक्कर और भी निर्णायक हो गई है।
जातीय समीकरण
पीरपैंती का मतदाता समाज विविधताओं का मिश्रण है। मुस्लिम और यादव समुदाय के वोट इस सीट की नब्ज हैं, जो अक्सर जीत और हार तय करते हैं। इसके अलावा राजपूत, भूमिहार, ब्राह्मण, कोइरी, कुर्मी, रविदास और पासवान जैसी जातियों की संख्या भी निर्णायक भूमिका निभाती है। 2011 की जनगणना के अनुसार, इस विधानसभा क्षेत्र की कुल आबादी 4,78,852 है और यह पूरी तरह से ग्रामीण है। अनुसूचित जाति (SC) की जनसंख्या 13.31 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (ST) की आबादी 11.65 प्रतिशत है।
2025 के चुनाव में इस सीट पर नजरें सभी राजनीतिक पार्टियों की रणनीतियों पर टिकी हैं। RJD और BJP के बीच चल रहे लगातार टकराव, मुस्लिम-यादव वोट बैंक की भूमिका और अनुसूचित जातियों की बढ़ती संख्या इसे बिहार की सबसे रोमांचक और नज़रअंदाज नहीं की जाने वाली सीट बनाती है।






















